इमरान खान सरकार की चल-चलाती बेला है। ग्यारह विपक्षी दलों की एकजुटता, बदलते सियासी घटनाक्रम, सार्वजनिक मंच से सेना प्रमुख के खिलाफ बगावत, सेना-पुलिस के टकराव, वित्तीय कार्यबल की चेतावनी, आर्थिक राजधानी कराची में आतंकवादियों का बम बलास्ट, सभी इस ओर इशारा कर रहे हैं।

इमरान खान सरकार की चल-चलाती बेला है। ग्यारह विपक्षी दलों की एकजुटता, बदलते सियासी घटनाक्रम, सार्वजनिक मंच से सेना प्रमुख के खिलाफ बगावत, सेना-पुलिस के टकराव, वित्तीय कार्यबल की चेतावनी, आर्थिक राजधानी कराची में आतंकवादियों का बम बलास्ट, सभी इस ओर इशारा कर रहे हैं। तेजी से बदलते माहौल से बौखलाए प्रधानमंत्री इमरान खान टेलिविज़न चैनलों पर चीख-चीख कहते घूम रहे कि ‘सरकार क्या, मेरी जान ही क्यों न चली जाए, मुल्क के सौदागरों को नहीं छोडे़ंगे। उनके बच्चे करोड़ों रुपये के घरों में रहते हैं और वे वीआईपी जेल में। तुम वापस आओ दिखाता हूं, तुम्हें कैसे रखते हैं।’
इमरान खान का इशारा पाकिस्तान मुस्लिम लीग-एन के संस्थापक अध्यक्ष मियां नवाज शरीफ एवं पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के वरिष्ठ नेता आसिफ जरदारी और उनके बच्चों की ओर है। इस समय भ्रष्टाचार के आरोप में फंसे जरदारी पाकिस्तान के जेल में और मियां नवाज शरीफ इलाज के नाम पर लंदन में निर्वासित जीवन जीने को मजबूर हैं। दरअसल, इमरान खान को ऐसा इसलिए कहना पड़ रहा कि इस समय पाकिस्तान के दोनों नामचीन सियासतदानों के बच्चे मरियम नवाज एवं बिलावल भुट्टो जरदारी न केवल उनकी नाक में दम किए हुए हैं बल्कि उनकी प्रधानमंत्री की कुर्सी से विदाई की भी स्थिति पैदा कर दी है। तमाम विरोधी नेताओं को कथित भ्रष्टाचार के आरोप में जेल में डालने वाले इमरान खान, कुछ समय पहले तक विपक्षी दलों की एकता का उपहास उड़ाते रहे हैं। अब वही विपक्ष न केवल एकजुट है, ‘पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट’ नाम से मोर्चा गठित कर सरकार पर आक्रमण और हमले कर रहा है। गठबंधन में मियां नवाज शरीफ एवं आसिफ जरदारी की पार्टी तो शामिल है ही, तेज-तर्रार जमियत उलेमा-ए- इस्लाम के मौलाना फजलुर्रहमान का भी उन्हें साथ मिल रहा है। गठबंधन में कुल 11 दल हैं, जिनकी पिछले महीने बैठक हुई थी। उसमें इमरान खान सरकार को उखाड़ फैंकने के लिए जनता के मुददे, सेना की ज्यादतियों, कश्मीर, गिलगित-बल्टिस्तान, बलूचिस्तान में सेना की अनुचित दखल, चीन के आर्थिक घुसपैठ जैसा एजेंडा उठाना तय हुआ था।
पीडीएम के शाहिद खाकान अब्बासी कहते हैं कि इस बैठक का इमरान खान ने खूब मचाक उड़ाया। विपक्षी दलों की एकजुटता पर सवाल उठाए। कहा कि अपने-अपने स्वार्थ में बंधी विपक्षी पार्टियां कभी एकजुट नहीं होंगी। मगर बेनजीर भुट्टो के शहीद दिवस पर डेमोक्रेटिक मूवमेंट ने 18 अक्तूबर को सिंध प्रांत के कराची के गुजरावालां स्थित बाग जिन्ना मजार कायद में विशाल रैली आयोजित कर न केवल इमरान के सारे भ्रम दूर कर दिए बल्कि देश में ऐसे हालात पैदा कर दिए कि मौजूदा सरकार की कभी भी विदाई संभव है। पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट ने इमरान खान को कुर्सी से उतारने तक आंदोलन जारी करने का ऐलान किया है। विपक्षी दलों की रैली बहुत ही संगठित ढंग से आयोजित की जा रही। आयोजन स्थल पर प्रमुख विपक्षी दलों के बड़े नेताओं के लिए अलग-अलग मंच बनाए जाते हैं। समर्थकों में जोश भरने के लिए बड़े नेताओं और उनकी पार्टियों के गाने बजाए जाते हैं। पहली रैली में एमएलएन की उपाध्यक्ष मरियम नवाज, पीपीपी अध्यक्ष बिलावल भुटटो एवं मौलाना फजलुर्रहमान ने प्रधानमंत्री इमरान खान एवं उन्हें इस कुर्सी तक पहुंचाने वाले पाकिस्तान सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा पर जमकर हमले किए। बाजवा पर प्रहार करने के लिए मरियम ने इमरान खान को बार—बार ‘सेलेक्टेड इमरान खान’ कहा। उनका कहना है कि इमरान चुने हुए नहीं, सेना के सेलेक्टेड प्रधानमंत्री हैं। उन्होंने विपक्षी दलों पर भ्रष्टाचार के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि इमरान खुद को ईमानदार कहते हैं, जबकि उनके सारे खर्च उनके दोस्त उठाते हैं। कोई उनके दोस्तों से हिसाब ले कि उनके पास इतना धन कहां से आया। विपक्षी दल रैलियों में एवं प्रदर्शनों में मजदूर, किसान, व्यापारी, कर्मचारी, पूंजीपतियों का मुद्दा उठा रहे हैं। उनका कहना है कि पाकिस्तान का ऐसा कोई वर्ग नहीं, जो इमरान खान सरकार की नीतियों से परेशान न हो। मरियम का कहना है कि उन्होंने प्रधानमंत्री बनने पर एक करोड़ लोगों को नौकरी देने का वादा किया था। नौकरी देना तो दूर जिनकी बची है, उनकी भी छीनी जा रही है। मंहगाई चरम पर है। आम लोगों को रोटी का एक नेवाला लेना भी मुश्किल हो रहा है। मोर्चे की रैलियों में आटा, चीनी, दवाइयों के दाम आसमान छूने के मुददे उठाए जा रहे हैं। बिलावल भुट्टो जरदारी कहते हैं, ‘इमरान खान ने सेना के साथ मिलकर देश की तमाम लोकतांत्रिक संस्थाओं पर ताला लगा दिया। अदालतें दबाव में हैं। अपनी मर्जी से फैसले नहीं दे सकतीं। मीडिया का मुंह बंद कर दिया गया है। लाॅकडाउन में हजार अरब रुपए का पैकेज मात्र छलावा रहा। जबकि मौलाना फजलुर्रहमान का कहना है कि इमरान खान ने प्रधानमंत्री बनने के बाद कराची में 50 लाख लोगों को सस्ते मकान देने का वादा किया था। अब तक किसी को घर नहीं मिला है। जिनके घर थे, अतिक्रमण के नाम पर उन्हें भी ढहाया जा रहा है।

विपक्षी दलों की रैली की अहम बात यह भी है कि इस दौरान गिलगित-बाल्टिस्तान, बलूचिस्तान के मुदृदे जमकर उछाले जा रहे हैं। सेना पर आरोप है कि मुखबिरी एवं देशद्रोह के नाम पर इन प्रांतों के युवाओं को रहस्यमय तरीके से गायब किया जा रहा है। बाद में उनकी लाश लावारिस अवस्था में सड़कों या जंगलों में मिलती है। पिछले कुछ दिनों से बाल्टिस्तान में वहां के दस नेताओं को गायब करने के विरोध में लोग सड़कों पर हैं। कराची की रैली ऐसे उन तमाम लोगों को श्रद्धांजलि देने से हुई जिन्हें सेना ने गायब कर मार डाला। इसका असर है कि विपक्षी गठबंधन को हर तरफ समर्थन मिल रहा है, जिससे पाकिस्तान का सियासी माहौल लगतार गरमाता जा रहा है।
बने गृहयुद्ध जैसे हालतविपक्षी दलों की एकजुटता से इमरान खान हुकूत बुरी तरह दबाव में आ गई है। उसने सिंध में सेना एवं प्रांतीय पुलिस के बीच टकराव की स्थिति पैदा कर दी है। समाचार पत्र ‘द इंटरनेशल हेराल्ड’ ने इस स्थिति पर ‘सिविल वार इन पाकिस्तान’ शीर्षक से खबर छापी है। करोची में रैली रात में आयोजित की गई थी। कार्यक्रम समाप्त होने के बाद मरियम नवाज एवं उनके पति रिटायर कैप्टन सफदर कराची के ही एक होटल में ठहर गए थे। इस बीच आधी रात को कमरे का ताला तोड़कर उन्हें बाग जिन्ना मजार कायद पर अनुचित नारे लगाने एवं मजार के साथ छेड़-छाड़ के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया। उनकी गिरफ्तारी के लिए सेना ने सारी हदें पार कर दीं। कराची के आईजी को उनके आवास पर नजरबंद कर दिया। डीआईजी को कैप्टन सफदर को गिरफ्तार करने के लिए मजबूर किया। उन्होंने इससे इनकार किया तो उनकी पिटाई कर दी गई। आरोप है कि सेना ने कुछ देरी के लिए आईजी एवं डीआईजी को लापता कर दिया था। इसके विरोध में सिंध के तमाम वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने एक से दो महीने की छुट्टी पर जाने का ऐलान कर दिया। कई ने इसके लिए लिखित आवेदन भी दे दिए। परिणामस्वरूप, कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ने लगी। इस पर पुलिस अधिकारियों को मनाने के लिए आईजी के आवास पर बिलावल भुट्टो जरदारी एवं सिंध के मुख्यमंत्री मुराद अली शाह को आना पड़ा। बाद में उनकी मुख्यमंत्री आवास पर भी बैठक हुई, जिसके बाद उन्होंने फिलहाल छुटृटी पर जाने का इरादा टाल दिया। उन्हें मनाने के लिए सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा को भी घटना की जांच के आदेश देने पड़े। इसी बीच आतंकवादियों ने कराची के गुलशन-ए-इकबाल इलाके की एक चार मंजिली इमरात में विस्फोट कर मलबे के ढेर में बदल दिया। इस घटना में पांच से अधिक लोगों की मौत हुई और 25 से अधिक लोग घायल हुए।
सेना पर विपक्ष का खुला हमलाहमेशा सरकारों पर हावी रहने वाली पाकिस्तानी सेना पहली बार सार्वजनिक मंचों से निशाना बनाई जा रही है। उसके चाल—चरित्र पर प्रश्न उठाए जा रहे हैं। इमरान खान पर आरोप है कि वह मौजूदा पाक सेना अध्यक्ष कमर जावेद बाजवा के रहमो-करम पर प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे। सेना ने उनके लिए बूथ तक लूटे। बदले में इमरान खान ने संविधान में संशोधन कर बाजवा का कार्यकाल बढ़वा दिया। इमरान और बाजवा हमेशा एक दूसरे का बचाव करते हैं। मौजूदा सरकार के अत्यधिक छूट देने के कारण सैन्य कर्मियों की न केवल मनमानी बढ़ गई है, वे कई तरह के आरोप में भी घिरे हुए हैं। मगर ऐसा पहली बार है कि सियासी मंच से सेना प्रमुख निशाना बनाए जा रहे हैं। कराची की रैली में बाजवा का नाम लेकर इमरान खान को प्रधानमंत्री के तौर पर थोपने का आरोप लगा। मरियम नवाज तो इमरान खान को ‘इमरान सेलेक्टेड खान’ कहकर दोनों का मजाक उड़ाती हैं। मरियम नवाज की गिरफ्तारी के बाद से तो सारा विपक्ष बाजवा के पीछे पड़ गया है। ऐसे में स्थिति संभालने के लिए इस मामले में सेना प्रमुख को दखल देना पड़ा।

विपक्षी दल गिलगित-बाल्टिस्तान, बलूचिस्तान एवं सिंध में स्थिति बिगड़ने के लिए पूरी तरह बाजवा को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। विरोधियों का आरोप है कि इनके कार्यकाल में इन प्रांतों से सरकार विरोधी आंदोलन में शामिल युवाओं को सर्वाधिक गायब किया गया। बाल्टिस्तान में प्रांतीय चुनाव कराने के पाकिस्तानी सरकार के फैसले को भी बाजवा की कारस्तानी माना जा रहा। विपक्ष का आरोप है कि पाकिस्तानी फौज ने पीओजेके, बलूचिस्तान और सिंध में अपने खिलाफ उठने वाली हर आवाज को दबाने का अभियान चला रखा है।
सामाजिक कार्यकर्ता आरिफ अजाकिया का कहना है कि सेना में वर्चस्व रखने वाले पंजाबियों ने गैर-पंजाबी इलाके में भयंकर उत्पात मचा रखा है। भ्रष्टाचार, अय्याशी में आकंठ डूबे लोगों के खिलाफ आवाज उठाने वालों को गायब कर दिया जाता है। फिर लावारिस हालत में उसका शव ही मिलता है।
कुल मिलाकर पाकिस्तानी सेना बेलगाम हो चुकी है। प्रधानमंत्री इमरान खान उसके सामने बेबस है। सैन्य अधिकारी मनमानी कर रहे हैं। धीरे-धीरे सरकारी विभागों पर वे काबिज होते जा रहे हैं। उसकी कार्यशैली पर सवाल उठाने वालों को गायब कर दिया जाता है या देशद्रोही साबित करने की कोशिश की जाती है। ऐसे ही एक मामले में पंजाब प्रांत स्थित ओकारा जिले के दिपालपुर कस्बे की महिला वकील इशरत नसरीन को उनके कार्यालय से अगवा कर लिया गया। चार अपहरणकर्ता रात में उनसे कानूनी सलाह लेने के बहाने आए थे। 6 बच्चों की मां इशरत का चार दिन तक कोई सुराग नहीं लगा। मां के घर नहीं लौटने पर बच्चों ने थाने में अपहरण का मामला दर्ज कराया। चार दिन बाद वह कस्बे के खेत में बेहोशी की हालत में मिलीं। उनके हाथ-पैर बंधे थे और मुंह में कपड़ा ठूंसा हुआ था। लंदन में रहकर पाकिस्तानी फौज की बखिया उधेड़ने वाले आरिफ अजाकिया ने इस संबंध में सोशल मीडिया पर घटना का एक वीडियो डाला था, जिसमें बदहवास इशरत लोगों से पूछती दिखाई दे रही थी कि वह कौन हैं ? पाकिस्तान के अखबार ‘द नेशन’ में ‘एडवोकेट नसरीन नॉमिनेट एक्स हस्बैंड इन ऐबडक्शन केस’ शीर्षक से एक खबर छपी थी। इसमें दावा किया गया कि पूर्व पति अकमल से महिला अधिवक्ता का संपत्ति विवाद चल रहा है। उसने ही नजर फरीद, हक नवाज एवं आवा की मदद से उसको अगवा किया और अज्ञात स्थान पर रखा। उसे नशे की सुई देकर प्रताड़ित किया गया। लेकिन लोग इस खबर को सच नहीं मानते। कारण, इशरत ने एक बड़ी जनसभा को संबोधित करते हुए फौज को देश का गद्दार कहा था। आरिफ अजाकिया ने सोशल मीडिया पर यह वीडियो भी साझा किया, जिसमें वह हजारों लोगों की भीड़ में आक्रामक ढंग से फौज की पोल खोलती दिख रही हैं। बकौल अजाकिया, सेना भ्रष्टाचार, अय्याशी में आकंठ डूबी है।
‘वाइस फॉर मिसिंग पर्सन्स आफ सिंध’ ट्वीटर हैंडल पर ऐसे 40 लोगों की तस्वीरें साझा की गई हैं जो पीओजेके, बलूचिस्तान और सिंध से गायब किए गए। इस मामले में मानवाधिकार संगठनों एवं अंतरराष्ट्रीय समुदाय से हस्तक्षेप की मांग की गई है। सामाजिक कार्यकर्ता शाजिया चांदो ने सोशल मीडिया पर दो भाइयों प्रियल व जमीन शाह की तस्वीरें पोस्ट की हैं, जिसमें वे एक लापता युवक का पोस्टर लिए खड़े हैं। शाजिया लिखती हैं, ‘वो जो पूछते थे लापता लोगों का, वह खुद भी लापता हो गए।’ पाकिस्तान मानवाधिकार आयोग ने अपनी सालाना रिपोर्ट में मानवाधिकारों के दमन पर चिंता जताई है। आयोग के महासचिव हरिस खालिक कहते हैं, ‘राजनीतिक विरोधियों को बहुत व्यवस्थित ढंग से निपटाया जा रहा है।’ एक न्यूज पोर्टल चलाने वाले पत्रकार अहमद नूरानी भी सेना व सरकार के निशाने पर हैं। उन्होंने हाल ही में इमरान खान के वरिष्ठ सैन्य सलाहकार एवं सेवानिवृत्त ले. जनरल असिम सलीम बाजवा और उनके बेटे पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है। कई कड़ियों में प्रकाशित नूरानी की रिपोर्ट में बताया गया कि दक्षिण कमान के कमांडर रहते बाजवा एवं उनके बेटे 99 कंपनियों के मालिक बन गए। उनके पास 130 कंपनियों की फ्रेंचायजी है तथा वे 13 कामर्शियल संपत्ति तथा दो शॉपिंग सेंटर के मालिक भी हैं। उन्होंने चीन एवं पाकिस्तान सरकार को चूना लगाकर करीब 2000 करोड़ रुपये की अवैध संपत्ति एकत्र की है। मगर सच का पता लगाने की बजाए सेना व सरकार उन्हीं के पीछे पड़ी है। मजे की बात है कि सेना और सरकार के इशारे पर पाकिस्तानी मीडिया उन्हें ही भारतीय जासूस और देशद्रोही साबित करने पर तुला है। सेना के हिमायती न्यूज चैनल एआरवाई पर नूरानी ने आरोप लगाया कि उनके खिलाफ चैनल पर रिपोर्ट दिखाने के बाद उन्हें धमकियां मिल रही हैं। न्यूज पोर्टल ‘जर्नलिज्म पाकिस्तान’ में छपी रिपोर्ट के अनुसार, एआरवाई ने दावा किया कि नूरानी ने दो पत्रकारों मुबशिर जैदी एवं गुल बुखारी की मदद से बाजवा के खिलाफ मनगढ़ंत खबर तैयार कीं। चैनल ने उनकी विश्वसनीयता पर भी सवाल उठाए। नूरानी ने न्यूज चैनल की रिपोर्ट और धमकियों को लेकर ट्वीट किया है कि ‘एक न्यूज चैनल ने उसकी तस्वीर चलाकर गद्दार और भारतीय एजेंट साबित करने की कोशिश की। विपक्षी दलों का गठबंधन अपनी रैली में ऐसे मुदृदों पर सेना का खुलकर विरोध कर रहा है