मोबाइल फोन के सभी सेवा प्रदाता, निजी आपरेटर हैं. किसी भी उपभोक्ता को निजता का डर नहीं सता रहा है. मगर सिर्फ राहुल गांधी को आरोग्य सेतु से निजता और सुरक्षा का भय है आखिर क्यों ?
आरोग्य सेतु ऐप से राहुल गांधी परेशान हैं. उनका कहना है कि यह ऐप जो भी डाउनलोड करेगा. उसकी लोकेशन को आसानी से ट्रैक किया जा सकेगा. इस ऐप के माध्यम से सरकार किसी की भी निगरानी कर सकती है. राहुल गांधी ने ट्वीट किया कि " यह परिष्कृत निगरानी प्रणाली है. केंद्र सरकार ने प्राइवेट आपरेटर आउटसोर्स किया है. सुरक्षा और निजता को लेकर यह चिंताजनक है. तकनीक हमें सुरक्षित कर सकती है लेकिन कोरोना के डर का लाभ उठाते हए लोगों को ट्रैक नहीं किया जाना चाहिए."
राहुल गांधी को ही निजता का डर क्यों सता रहा है ?
गौरतलब है कि स्मार्ट फोन इस्तेमाल करते समय उसके यूजर को कई बार अपनी लोकेशन बताना पड़ता है. मसलन अगर उसे ओला या उबर में टैक्सी बुक करनी है तो अपनी लोकेशन बताना पड़ेगा. व्हाट्स ऐप पर किसी से लोकेशन शेयर करनी हो तो भी उस यूजर को अपनी लोकेशन का विकल्प आन करना पड़ता है. अगर कोई संदिग्ध व्यक्ति है या किसी घटना में शामिल है तो पुलिस विवेचना के दौरान उसके फोन नंबर की काल डिटेल निकलवा कर देखती है. काल डिटेल में उस उपभोक्ता ने किस लोकेशन पर कहां और कब फोन पर बात किया है. यह सब कुछ निकल आता है. बीएसएनएल को छोड़कर सभी मोबाइल फ़ोन के सेवा प्रदाता, निजी आपरेटर हैं. काफी बड़ी संख्या में मोबाइल फ़ोन का इस्तेमाल कर रहे उपभोक्ताओं का डाटा निजी कंपनियों के ही पास है. ऐसे में राहुल गांधी की तरफ से यह सवाल उठाया जाना कि “आरोग्य सेतु ऐप के लिए प्राइवेट आपरेटर को आउट सोर्स किया गया है और प्राइवेट आपरेटर के हाथ में यह डाटा जाने से सुरक्षा और निजता पर आंच आ सकती है.” यह बिल्कुल भ्रमित करने वाला बयान है. यह कहने के बजाय कि वह अपनी निजता को लेकर बेहद डरे हुए हैं. वह इस देश की जनता को डरा रहे हैं.
वैश्विक महामारी कोरोना के इस दौर में सरकार विज्ञापन देकर लोगों को जागरूक कर रही है कि "कोरोना से घबराएं नहीं - कोरोना से सावधान रहें." मगर राहुल गांधी अपने निजी स्वार्थ में इस देश की जनता को भ्रमित कर रहें हैं. गूगल, फेसबुक, ट्विटर जैसी सोशल नेटवर्किंग साइट के पास उसके यूजर का डाटा बैंक है. यह सब भी निजी कम्पनियां ही हैं. ई - मेल की सुविधा प्रदान करने वाली कंपनी के पास भी उसके यूजर का डाटा बैंक है. उदाहरण के तौर पर हर एक ई - मेल अकाउंट में स्टोरेज कितने फीसदी हो चुका है. यह उस ई- मेल की सेवा प्रदान करने वाली कंपनी को मालूम रहता है.
आरोग्य सेतु ऐप की चेन से टूटेगी कोरोना की चेन
आरोग्य सेतु ऐप का प्रयोग कोरोना महामारी के दौर में अत्यंत आवश्यक है. यह ऐप कोरोना के खतरे से अलर्ट करता है. यह ऐप और बेहतर ढंग से तभी कारगर हो पायेगा जब अधिक से अधिक लोग इसको डाउनलोड करेंगे. कोरोना के कैरियर की चेन को तोड़ने के लिए सभी को आरोग्य सेतु ऐप की चेन बनानी होगी. मगर राहुल गांधी ने इस ऐप को निजता और सुरक्षा के सवालों में उलझाने का प्रयास किया. दरअसल , उन्हें जनता की निजता और सुरक्षा की चिंता नहीं है. उन्हें अपनी निजता और सुरक्षा की चिंता है.राहुल गांधी ऐसी किसी भी तकनीक को देख कर सतर्क हो जाते हैं जो उनकी निजता से जुड़ी हो.
247 बार ऐसा हुआ था जब राहुल गांधी, दिल्ली से बाहर गए मगर उन्होंने एसपीजी को सूचना नहीं दिया
जिस समय गांधी परिवार की एसपीजी सुरक्षा में बदलाव किया गया था. उस समय कांग्रेस पार्टी ने सदन में आरोप लगाया था कि बदले की भावना से सुरक्षा हटाई गई. कांग्रेस के आरोप का जवाब देते हुए उस समय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था “हमने सुरक्षा हटाई नहीं है. सुरक्षा में बदलाव किया है. बदले की भावना से कार्य करना मेरी पार्टी का संस्कार नहीं है. विगत पांच वर्षों में 247 बार ऐसा हुआ जब राहुल गांधी, दिल्ली से बाहर गए मगर उन्होंने एसपीजी को सूचना नहीं दी. यह सरकार की सबसे बेहतर सुरक्षा व्यवस्था है. कांग्रेस की नेता प्रियंका गांधी 99 बार विदेश यात्रा पर गईं मगर 78 विदेश यात्राओं पर उन्होंने एसपीजी सुरक्षा की मांग नहीं की.” इसी प्रकार वर्ष 2015 में 349 अवसरों पर एसपीजी के मानकों का उल्लंघन किया गया.