भारतीय नौसेना ने दक्षिण चीन सागर में अपना एक फ्रंटलाइन वॉरशिप (अग्रणी युद्धपोत) तैनात किया है। गौरतलब है कि यह वही क्षेत्र है, जहां चीन भारत के युद्धपोतों का विरोध करता रहा है पर भारत ने उसके विरोध को दरकिनार करते हुए यह कदम उठाते हुए चीन को आईना दिखाया है।
कुछ समय से भारत और चीन के बीच सीमा पर तनाव का वातावरण है। इस बीच भारतीय नौसेना ने दक्षिण चीन सागर में अपना एक फ्रंटलाइन वॉरशिप (अग्रणी युद्धपोत) तैनात किया है। गौरतलब है कि यह वही क्षेत्र है, जहां चीन भारत के युद्धपोतों का विरोध करता रहा है पर भारत ने उसके विरोध को दरकिनार करते हुए यह कदम उठाते हुए चीन को आईना दिखाया है। दोनों देशों के बीच हुई वार्ता में चीन इस कदम पर अभी तक आपत्ति जता रहा था। ज्ञात हो कि चीन हमेशा से ही इस क्षेत्र में भारतीय नौसेना के जहाजों की उपस्थिति पर आपत्ति जताता रहा है, जहां उसने कृत्रिम द्वीपों और सैन्य उपस्थिति के माध्यम से 2009 से अब तक अपनी उपस्थिति में काफी विस्तार किया है।
बता दें कि कुछ दिन पहले ही पूर्वी लद्दाख में चीन से जारी तनाव के मद्देनजर नौसेना के शीर्ष कमांडरों की बैठक हुई थी। बैठक में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी नेवी की गतिविधियों से निपटने की तैयारियों पर चर्चा हुई थी। गलवान घाटी में भारत और चीन की सेना कई महीने से आमने-सामने है।
भारतीय पक्ष की तरफ से लगातार बातचीत के बावजूद चीन पीछे हटने को राजी नहीं है। पिछले कई महीनों में दोनों देशों के बीच कई दौर की वार्ता हो चुकी है, लेकिन हालात जस के तस बने हुये हैं। लद्दाख के सभी बार्डर क्षेत्र में भारतीय सेना ने चौकसी बढ़ा दी है। रक्षा मंत्री और सेना प्रमुख का स्पष्ट आदेश है कि भारतीय सेना हर स्थिति से निपटने और उसे माकूल जवाब देने के लिए तैयार है।