18 अक्टूबर, 2019 को लखनऊ में स्थानीय हिन्दू नेता कमलेश तिवारी की निर्मम हत्या की गई थी। इस हत्याकांड में अभियुक्तों की मदद करने वाला कामरान घटना के बाद से ही फरार था। पुलिस ने सोमवार की रात उसे गिरफ्तार कर लिया।

18 अक्टूबर, 2019 को लखनऊ में स्थानीय हिन्दू नेता कमलेश तिवारी की निर्मम हत्या की गई थी। इस हत्याकांड में अभियुक्तों की मदद करने वाला कामरान घटना के बाद से ही फरार था। पुलिस ने सोमवार की रात उसे गिरफ्तार कर लिया। कामरान बरेली जनपद का रहने वाला है। पुलिस को सूचना मिली थी कि कामरान लखनऊ के नाका थाना क्षेत्र में मौजूद है। पुलिस ने मौके पर पहुंच कर उसे गिरफ्तार कर लिया। इस हत्याकांड के मुख्य आरोपी युसुफ खान और सैय्यद आसिम के खिलाफ गत जून माह में जिलाधिकारी लखनऊ ने राष्ट्रीय सुरक्षा कानून(रासुका) के तहत कार्रवाई की थी।
ज्ञात हो कि कमलेश तिवारी ने वर्ष, 2015 में पैगम्बर के खिलाफ टिप्पणी की थी। मुसलमानों ने पहले आतंकियों को उनकी हत्या की सुपारी दी थी। वर्ष, 2017 में उन आतंकियों के गिरफ्तार हो जाने के बाद दोबारा उनकी हत्या का षड़यंत्र रचा गया। लखनऊ के खुर्शीद बाग स्थित हिंदू समाज पार्टी कार्यालय में 18 अक्टूबर, 2019 को दिन में दो युवक कमलेश तिवारी से मिलने पहुंचे। वे मिठाई के डिब्बे में चाकू और तमंचा लेकर आए थे। कमलेश तिवारी को पहले गोली मारी गई। जब गोली नहीं चली तो गला रेत कर ह्त्या की गई। घटना के बाद अभियुक्त फरार हो गए। इस मामले में 13 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया गया था।
कमलेश तिवारी की ह्त्या के बाद उस समय के पुलिस महानिदेशक—उत्तर प्रदेश ओ.पी सिंह ने बताया था कि " हमें शुरू से आशंका थी कि इसके तार गुजरात से जुड़े हैं। हमारी टीम गुजरात भी गई। मिठाई के डिब्बे के आधार पर हमने गुजरात में संपर्क किया। लखनऊ और गुजरात पुलिस का समन्वय रहा। जिस मिठाई की दुकान से डिब्बा लिया गया था, वहां से फैजान युनुस को गिरफ्तार किया गया। इसके अतिरिक्त मौलाना मोहसिन शेख, राशिद अहमद को हिरासत में ले कर पूछताछ की गई। विवेचना में यह साफ़ हो गया है कि यह तीनों कमलेश तिवारी की हत्या में शामिल थे।"