मीम अलिफ हाशमी
‘टेरर फंडिंग’ के आरोप से बुरी तरह घिरे पाकिस्तान के ‘ग्रे’ से ‘ब्लैक’ लिस्ट में जाना तय हो गया है। इस मामले में आई एक रिपोर्ट बताती है कि काली सूची में डाले जाने से बचने के लिए पाकिस्तान ने जो पैंतरे अपनाए थे, उसका भेद खुल चुका है।
‘टेरर फंडिंग’ के आरोप से बुरी तरह घिरे पाकिस्तान के ‘ग्रे’ से ‘ब्लैक’ लिस्ट में जाना तय हो गया है। इस मामले में आई एक रिपोर्ट बताती है कि काली सूची में डाले जाने से बचने के लिए पाकिस्तान ने जो पैंतरे अपनाए थे, उसका भेद खुल चुका है। रिपोर्ट की माने तो फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की काली सूची में जाने से बचने के लिए पाकिस्तान ने खुद को ‘बेचारा’ साबित करने और भारत को बदनाम करने का प्रयास किया। मगर इस हड़बड़ी में वह मूर्खता कर बैठा। इस्लामिक स्टेट जैसे खंूखार आतंकवादी संगठन का संबंध भारत से जोड़ने की कोशिश की।
एफएटीएफ में फरवरी के अंतिम सप्ताह में निर्णय आना है। इस दौरान तय होगा कि पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में रखा जाए या आतंकवादियों पर लगाम लगाने में अब तक फुस साबित होने पर इस देश को काली सूची में डाल दिया जाए। काली सूची में डालने का अर्थ है पाकिस्तान को दुनियाभर से अलग थलग कर देना। इसके बाद विश्व बिरादरी से मिलने वाली तमाम आर्थिक सहायता मिलनी भी बंद हो जाएगी।
मगर पाकिस्तान के इस नए पैंतरे का खुलासा किया है एंटी-टेररिज्म टास्क फोर्स (सीपीएफए) के राजनीतिक और विदेशी मामलों के केंद्र ने। इसके लिए विशेष रिपोर्ट तैयार करने वाले रोनाल्ड दुचेमिन ने लिखा है,‘‘इस्लामाबाद ग्रे सूची से बाहर निकलने के लिए भारत के खिालाफ दुष्प्रचार में लगा है। इस रणनीति के तहत ही बलोचिस्तान में क्वेटा के निकट 11 शिया अल्पसंख्यक खदान मजदूरों की इस्लामिक स्टेट द्वार निर्मम हत्या करने पर इसका ठिकारा भारत पर फोड़ दिया गया. इमरान सरकार द्वारा कहा गया कि भारत ने आईएस से मिलकर इस कार्रवाई को अंजाम दिया है, ताकि पाकिस्तान का अंदरूनी माहौल खराब किया जा सके, जबकि पूरी दुनिया को पता है कि कैसे भारत आईएस को पांव पसारने से रोकने के लिए पुरजोर कोशिश में लगा है। यही नहीं हाल में पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता ने प्रेस वार्ता कर यह दर्शाने की कोशिश की थी कि पाकिस्तान में भारत की ओर से आतंकवाद को बढ़ावा दिया जा रहा है। उसने तालिबान पाकिस्तान का रिश्ता भारत की खुफिया एजेंसी और अफगानिस्तान में पाकिस्तान के खिलाफ कुछ मैसेज पकड़े जाने की भी दलील दी गई थी। अलग बात है कि भारत ने अगले ही दिन उसे बेबुनियाद करार दे दिया था। इसके साथ प्रधानमंत्री इमरान खान और पाकिस्तान सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा ‘शांतिदूत’ बनकर भारत से संबंध बनाने का भी नाटक कर रहे हैं। अलग बात है कि उसके दो दिन पहले ही भारत के सुरक्षा सलाहकार के कार्यालय के पाकिस्तासन द्वारा रेकी कराने की खबर आई थी। सीपीएफए की रिपोर्ट में कहा गया,‘‘पाकिस्तान आतंकवादी समूहों और उनके वित्तीय नेटवर्क के खिलाफ कार्रवाई करने की बजाए नाटक कर टास्क फोर्स को धोखा देने की कोशिश कर रहा है।’’ आतंकवादी समूह खुलेआम अपना काम कर रहे हैं। जिन आतंकवादी सरगनाओं को गिरफ्तार करने का प्रपंच किया गया है, वे अपने घरों में कैद होने का नाटक कर मजे कर रहे हैं। जुलाई , 2019 में पाकिस्तान सरकार ने आतंकवादी संगठन जमात-उत-दावा एवं उसके खुला मंच फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन का सरगना हाफिज सईद, उसके दाएं हाथ अब्दुल रहमान मक्की, जफर इकबाल, आमिर हमजा सहित दो दर्जन आतंकियों को वित्त पोषण मामले में गिरफ्तार किया था। मगर कुछ दिनों बाद फरवरी 2020 में एफएटीएफ की सुनवाई के बाद उनमें से अधिकांश को कोर्ट के जरिए छोड़ दिया गया। इसी तरह अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी एवं मुंबई हमले का मास्टर माइंड जकीउर रहमान लकवी भी मजे कर रहा है।
उल्लेखनीय है कि जून 2017 में मनी लॉन्ड्रिंग को लेकर पाकिस्तान के एशिया पैसिफिक ग्रुप की ओर से चिंता प्रकट की गई थी. इस मामले में भारत ने विशेष तौर से आपत्ति जताई थी. जिसके आधार पर यूएनएस की 1267 सदस्यीय समिति ने पाकिस्तान से इस बारे में रिपोर्ट मांगी। संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर फरवरी 2018 में अमेरिका ने अपने करीबी यूरोपीय सहयोगियों की मदद से समिति में प्रस्ताव लाकर पाकिस्तान को एफएटीएफ की ग्रे सूची में रखने की सिफारिश कर दी। तब से पाकिस्तान लिस्ट में यथावत बना हुआ है। आरोप है कि 27 सुधारात्मक बिंदुओं पर कार्रवाई करने की बजाए पाकिस्तान ग्रे सूची से निकलने के नए-नए पैंतरे ढूंढ रहा है। चूंकि अब तक उसकी ओर से आतंकवादियों के खिलाफ ठोस कार्रवाई नहीं की गई है, इसलिए अब की बार उसके काली सूची में जाने का खतरा बढ़ गया है। पिछले एक वर्ष में पाकिस्तानी आतंकवादियों को भारत की सीमा में घुसपैठ कराने को रिकार्ड चार हजार से अधिक बार सीजफायर का उल्लंघन करने और हाल में अफगानिस्तान एवं ईरान में पाकिस्तानपरस्त आईएस द्वारा बड़े पैमाने पर खूनी घटना को अंजाम देने पर इसकी संभावना और गहरा गई है।
रोनाल्ड दुचेमिन की रिपोर्ट में कहा गया कि पाकिस्तान कार्रवाई करने की बजाए भारत पर दोष मढ़कर खुद को पीड़ित होने का खेल खेल रहा है. यही नहीं पाकिस्तान, भारत पर एफएटीएफ के राजनीतिकरण का भी आरोप लगा रहा है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि पाकिस्तानी रणनीतिकार कार्रवाई से बचने के लिए प्रचार के माध्यम से विश्व बिरादरी पर अनावश्यक दबाव बनाने का प्रयास कर रहे हैं। अलग बात है कि पाकिस्तान का यह गेम प्लान एफएटीएफ के समझ में आ गया है। रिपोर्ट में कहा गया कि कागज पर तो पाकिस्तान प्रभावशाली कार्रवाई करता दिख रहा है, पर जमीनी हकीकत कुछ और है। ऐसे में इस महीने के आखिरी सप्ताह में होने वाली एफएटीफ की बैठक में शायद ही उसकी पैंतरेबाजी काम आए। हर बार पाकिस्तान अपने मित्र देशों चीन, मलेशिया, तुर्की के समर्थन से कार्रवाई से बचता रहा है। इस बार उसकी संभावना भी कम ही दिखती है।