सुनील राय
उत्तर प्रदेश सरकार, देवबंद में एंटी टेररिस्ट स्कवायड (एटीएस) का सेंटर खोलेगी. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सूचना सलाहकार शलभ मणि त्रिपाठी ने इस सम्बन्ध में ट्वीट किया है. अपने ट्वीट में उन्होंने लिखा है कि ”तालिबान की बर्बरता के बीच यूपी की खबर भी सुनिए. योगीजी ने तत्काल प्रभाव से ‘देवबंद’ में एटीएस कमांडो सेंटर खोलने का निर्णय लिया है. युद्धस्तर पर काम शुरू भी हो गया है और प्रदेश भर से चुने हुए करीब डेढ़ दर्जन तेज-तर्रार एटीएस अधिकारियों की तैनाती की जाएगी.”
देवबंद के दारूल उलूम में मज़हबी शिक्षा लेने के लिए छात्र अन्य इस्लामिक देशों से भी आते हैं. इसी वजह से देवबंद में अन्य मदरसे भी खुल गए. इन मदरसों में इस्लामिक शिक्षा की तालीम दी जाने लगी. धीरे – धीरे इन मदरसों में मज़हबी शिक्षा लेकर निकलने वाले छात्र आतंक की राह पकड़ने लगे. मौजूदा समय में हालत यह है कि जैश – ए – मोहम्मद जैसे खतरनाक आतंकी संगठन के लिए देवबंद ‘साफ्ट टारगेट’ है. यहां के मदरसों में पढ़ रहे युवकों को आतंकी बनाना, उनके लिए ज्यादा आसान कार्य है.
एक दौर था जब यह कहा जाता था कि हर मुसलमान, आतंकी नहीं है मगर समय के साथ यह स्थापित हो गया कि हर आतंकी, मुसलमान है. मदरसे में शिक्षा है और शिक्षा मज़हबी है. इस मज़हबी शिक्षा को पढ़कर आतंकी तैयार होते हैं. सहारनपुर के देवबंद में दारूल उलूम इस्लामिक शिक्षा का बड़ा केंद्र है. दूर-दूर से मज़हबी शिक्षा प्राप्त करने के लिए छात्र वहां पर पहुंचते हैं. वर्ष 2019 में सहारनपुर के देवबंद से गिरफ्तार किये गए दो आतंकी छात्र बनकर एक छात्रावास में रह रहे थे. दोनों आतंकी जम्मू – कश्मीर के रहने वाले थे. ये दोनों आतंकवादी , जैश – ए मोहम्मद के लिए आतंकियों की भर्ती के लिए सहारनपुर के देवबंद में आये थे.
आतंकियों से देवबंद का रिश्ता
बीते कुछ समय पर गौर किया जाय तो किसी भी बड़ी आतंकी घटना में शामिल आतंकियों में से किसी ना किसी का सम्बन्ध देवबंद से जरूर रहा है. अब मामला थोड़ा और आगे बढ़ गया है. यहां के मदरसों में मज़हबी शिक्षा लेकर आतंकी बनने के साथ ही, अब आतंकवादी, छात्र के भेष में छात्रावासों में शरण ले रहे हैं और अपने खतरनाक इरादों को अंजाम दे रहे हैं. अभी हाल ही में गिरफ्तार किये गए दो आतंकवादी बिना दाखिला के मदरसे का छात्र बनकर छात्रावास में रह रहे थे. दोनों आतंकी वहां के नौजवानों को हिन्दुस्तान के खिलाफ भड़का कर उन्हें आतंकवादी बनाने के काम में लगे हुए थे. दोनों आतंकवादी , ब्रेनवाश करने की ट्रेनिंग ले कर आये थे. ये दोनों इस्लामिक सन्देश युवाओं को दे रहे थे. इस तरीके से समझाने की कोशिश कर रहे थे ताकि उनके मन से मौत का डर भी समाप्त हो जाय.
मदरसे में रहने वाले एक छात्र ने पुलिस को उस समय सूचना दिया था कि दो युवक जो की जम्मू – कश्मीर के रहने वाले हैं , ये दोनों बिना दाखिला के मदरसे में रह रहे है. दोनों युवकों की गतिविधियां भी संदिग्ध लग रही है. इस सूचना पर पुलिस सक्रिय हुई. ‘एंटी टेररिस्ट स्क्वायड’ (ए.टी.एस ) के पुलिस महानिरीक्षक असीम अरूण ने मामले की गहन छानबीन किया. मामला बेहद गंभीर था. दोनों आतंकी जम्मू – कश्मीर के रहने वाले थे. आकिब अहमद मलिक, पुलवामा जनपद के ठोकर मोहल्ला , चंदवामा और दूसरा आतंकवादी शाहनवाज तेली, कुलगाम जिले के नूनमई – यारीपुरा गावं का मूल निवासी था. ये दोनों देवबंद के मोहल्ला खानकाह स्थित नाज़ मंजिल छात्रावास में रह रहे थे. ए.टी.एस ने इसी छात्रावास से इन दोनों को गिरफ्तार किया. इन दोनों के कब्जे से 30 कारतूस , दो पिस्टल , आतंकवादी गतिविधियों से सम्बंधित बातचीत का आडियो , वीडियो, एवं फोटो बरामद हुआ था.
तत्कालीन पुलिस महानिदेशक ओम प्रकाश सिंह ने बताया था कि शाहनवाज़ तेली काफी समय से इस क्षेत्र में सक्रिय था और इसके इरादे बेहद खतरनाक थे. यह युवकों को भ्रमित करके आतंकवादी बनाने के काम में लगा हुआ था. यह भारत के खिलाफ नफरत फैला रहा था. इन दोनों आतंकियों का सम्बन्ध खतरनाक आतंकी संगठन जैश – ए मोहम्मद से है.
विगत वर्षों में हुई आतंकी घटनाओं में देवबंद की कोई ना कोई भूमिका अवश्य रहती है. वर्ष 2018 के दिसंबर माह में राष्ट्रीय जांच एजेंसी , दिल्ली पुलिस एवं उत्तर प्रदेश की ए.टी.एस ने संयुक्त रूप से दिल्ली और उत्तर प्रदेश में 17 जगहों पर छापा मारा था और 10 आतंकियों को गिरफ्तार किया था. आतंकी देश में सीरियल बम विस्फोट करके पूरे देश में दहशत कायम करने की योजना बना रहे थे. जिन जगहों पर विस्फोट किए जाने की योजना थी उसमे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ कार्यालय , भाजपा कार्यालय , दिल्ली पुलिस मुख्यालय एवं बड़े नेताओं का नाम प्रमुख रूप से शामिल था.
राष्ट्रीय जांच एजेंसी, दिल्ली पुलिस एवं ए.टी.एस ने संयुक्त रूप से छापा मार कर 12 पिस्टल , 25 किलोग्राम पोटैशियम नाइट्रेट , भारी मात्रा में कारतूस , 135 सिम कार्ड , 91 फोन, 3 लैपटाप , चाकू , तलवार , बम बनाने के लिए भारी मात्रा में पाइप , काफी संख्या में अलार्म घड़ी और नगद साढे सात लाख रूपये बरामद किये थे. इन आतंकियों के कब्जे से एक वीडियो बरामद किया था जिसमे बम बनाने की विधि बताई गई थी.
आरएसएस कार्यालय पर हमले की साजिश रचने वाला सुहैल भी पहले देवबंद में रह चुका था —
वर्ष 2019 में राष्ट्रीय जांच एजेंसी के पुलिस महानिरीक्षक अलोक मित्तल ने उस समय बताया था कि आतंकी संगठन का नाम हरकत – उल – हर्ब –ए – इस्लाम है. इस संगठन के लोग एक विदेशी हैंडलर के सम्पर्क में थे. ये लोग फिदायीन हमला करके पूरे देश में दहशत और आतंक कायम करना चाहते थे. शुरुआत में पैसों का इंतजाम नहीं हुआ था. इसके लिए एक आतंकी अनस ने अपने घर से गहने चोरी करके उसे 5 लाख रूपये में बेच दिया था और उस 5 लाख रूपये से विस्फोटक पदार्थ खरीदा था. ये लोग सोशल मीडिया के जरिये विदेशी हैंडलर से संपर्क करते थे. पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हापुड़ से साकिब इफ्तेकार, अमरोहा से दो सगे भाई रईस अहमद एवं सईद अहमद , मोहम्मद इरशाद एवं मुफ्ती सुहैल को गिरफ्तार किया गया था. अन्य पांच आतंकियों में दो सगे भाई जुबैर मलिक – ज़ैद मलिक , अनस युनुस, रशीद जफर एवं मोहम्मद आज़म को दिल्ली से गिरफ्तार किया गया था. जाँच में स्पष्ट हुआ था कि मुफ्ती सुहैल भी पहले देवबंद में रह चुका था.
इसी वर्ष दो जनवरी को वसीम अहमद और एहसान कुरैशी को गिरफ्तार किया गया था. इन दोनों पर आरोप है कि बांग्लादेशी आतंकी युसूफ अली को देश से बाहर फरार कराने के लिए फर्जी पासपोर्ट बनाया था. ये दोनों भी देवबंद में पनाह लिए हुए थे.
इन्डियन मुजाहिदीन का आतंकी भी रहता देवबंद में
इंडियन मुजाहिदीन का शेख एजाज़ भी सहारनपुर में रहता था. एजाज़ को पुलिस ने सहारनपुर के रेलवे स्टेशन से वर्ष 2015 में गिरफ्तार किया था. वर्ष 2017 में मुजफ्फरनगर जनपद और देवबंद इलाके में फैजान सक्रिय था. फैजान बांग्लादेश में आतंकी संगठन से जुड़ा था. पुलिस की कार्रवाई की भनक लगते ही वह फरार हो गया था.
लोकसभा हमले में प्रयुक्त कार भी देवबंद से आई थी
अक्टूबर 2017 में कोलकाता पुलिस ने रज़ाउल रहमान को गिरफ्तार किया था. यह भी देवबंद में रह चुका था. वर्ष 2001 में अब तक का सबसे बड़ा आतंकी हमला किया गया था. आतंकियों ने लोकसभा पर हमला किया था. उस हमले में जिस कार का प्रयोग किया गया था. वह कार सहारनपुर की थी. लोकसभा पर हमले में आतंकी संगठन जैश – ए –मोहम्मद का हाथ था.
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