सागर में चीन की लंबे समय से दादागिरी दिखाने का रवैया हर उस देश को खटकता रहा है जो हिन्द-प्रशांत क्षेत्र के दायरे में आते हैं। वहां चीन दूसरे देशों के प्रवेश पर उन्मादी कार्रवाइयां करती हैं, जो किसी तरह से बर्दाश्त नहीं की जा सकती हैं
भारत की अध्यक्षता में हुई संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में विस्तारवादी चीन को उसकी असलियत से परिचित कराकर दूसरों पर अतिक्रमण करने से बाज आने को कहा गया है। विस्तारवादी चीन के दूसरे देशों पर कब्जे की मंशा और साजिशों का भारत ही नहीं, अमेरिका भी सदा से विरोध करता आया है। इतना ही नहीं तो, हिन्द-प्रशांत क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले विभिन्न देशों ने भी चीन के अतिक्रमण रवैए का खुलकर विरोध किया है। सुरक्षा परिषद की बैठक में हाल ही में भारत के दौरे पर आए अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने चीन को उसकी असलियत से परिचित कराने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
सुरक्षा परिषद की बैठक के अंतर्गत हिंद-प्रशांत महासागर इलाके पर विभिन्न देशों के बीच लंबी बहस चली। एकबारगी तो इस बहस में अपनी दूसरों को धमकाने वाली नीतियों की वजह से चीन सबसे कटा हुआ प्रतीत हुआ। उसकी हां में किसी ने हां नहीं मिलाई। इस बैठक को भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विशेष रूप से संबोधित किया। मोदी ने 15 देशों के प्रतिनिधियों (स्थायी एवं अस्थाई) को संबोधित करते हुए अनेक महत्वपूर्ण विषय उठाए और परिषद से विश्व की समस्याओं को दूर करने के लिए समन्वित प्रयास करने का आह्वान किया। बाद में, बैठक को भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने संबोधित किया।
अमेरिका की दो टूक
उल्लेखनीय है कि हिंद-प्रशांत महासागर इलाके में लंबे समय से चीन का अतिक्रमणकारी रवैया चला आ रहा है। अमेरिका इसका मुखर विरोधी रहा है। बैठक में अमेरिकी विदेश मंत्री ब्लिंकन ने कहा कि दक्षिण चीन सागर में जहाजों के मध्य जबरदस्त संघर्ष और समुद्र पर गैरकानूनी समुद्री दावों के साथ उन्मादी गतिविधियां देखने में आई हैं। ये किसी तरह स्वीकार्य नहीं हैं।
अमेरिकी विदेश मंत्री का कहना था कि वह भारत का धन्यवाद करते हैं कि उसने यह मुद्दा उठाया है। अमेरिका ने चीन तमाम विस्तारवादी प्रयासों पर विरोध दर्ज कराया, अपनी चिंताएं स्पष्ट कीं। चीन पर आरोप लगते रहे हैं कि वह दूसरे देशों की उनके समुद्री संसाधनों तक कानूनी पहुंच को लेकर धमकाता या परेशान करता है। ब्लिंकन ने कहा, हमने तथा दक्षिण चीन सागर पर दावे वाले दूसरे देशों ने समुद्र में ऐसे व्यवहार और गैरकानूनी दावों का सदा विरोध किया है।
हिंद-प्रशांत महासागर इलाके में लंबे समय से चीन का अतिक्रमणकारी रवैया चला आ रहा है। अमेरिका इसका मुखर विरोधी रहा है। बैठक में अमेरिकी विदेश मंत्री ब्लिंकन ने कहा कि दक्षिण चीन सागर में जहाजों के मध्य जबरदस्त संघर्ष और समुद्र पर गैरकानूनी समुद्री दावों के साथ उन्मादी गतिविधियां देखने में आई हैं। ये किसी तरह स्वीकार्य नहीं हैं।
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