सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्रीय मंत्री वी.के. सिंह के खिलाफ कार्रवाई की मांग करने वाली एक जनहित याचिका को गुरुवार को खारिज कर दिया। इसमें आरोप लगाया गया था कि उन्होंने कथित तौर पर कहा था कि चीन की तुलना में भारत ने अधिक बार वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पार किया है। यह याचिका तमिलनाडु के एक सामाजिक कार्यकर्ता चंद्रशेखरन रामासामी ने दाखिल की थी।
मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिका पर विचार करने से इनकार करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री इस पर गौर करेंगे। अदालत इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकती। पीठ ने याचिका को खारिज करते हुए कहा, "अगर आपको किसी मंत्री का बयान पसंद नहीं है तो आप एक याचिका दायर कर सकते हैं और उनसे इसे वापस लेने को कह सकते हैं। अगर वह अच्छा नहीं है, तो प्रधानमंत्री इस पर गौर करेंगे।"
केंद्रीय मंत्री वी.के सिंह के 7 फरवरी, 2021 के बयान को आधार बनाते हुए यह याचिका दाखिल की गई थी। दिया था। इसमें कहा गया था कि पूर्व सेना प्रमुख ने कहा था, ‘मैं आपको विश्वास दिलाता हूं, अगर चीन ने 10 बार उल्लंघन किया है तो हमने कम से कम 50 बार ऐसा किया होगा।’ चीन ने उनके इस बयान को भारत द्वारा ‘अनजाने में स्वीकारोक्ति’ करार दिया था। याचिकाकर्ता का कहना था कि वी.के सिंह का यह बयान एक मंत्री के तौर पर लिए गए शपथ का उल्लंघन है। इसके अलावा, यह बयान विश्व स्तर पर भारत की स्थिति को कमजोर करने वाला तथा चीन को भारतीय क्षेत्र में अपने अतिक्रमण को सही ठहराने का अवसर प्रदान करता है।
इस आधार पर याचिकाकर्ता ने केंद्रीय मंत्री के खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज करने की मांग की थी। याचिकाकर्ता का तर्क था कि अगर उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया या उन्हें हटाया नहीं गया तो अदालत को ‘‘राष्ट्र-विरोधी कानून के अनुसार उनके खिलाफ उपयुक्त कार्रवाई करनी चाहिए और सत्ता में बैठे लोगों के लिए मानक निर्धारित करना चाहिए कि क्या कहना है, कैसे सावधानीपूर्वक और सही तरीके से बयान देना है।’’
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