भारतीय दूतावास की ओर से हिन्दू-सिख समुदाय की मदद करने के लिए अनेक स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं। काबुल के रहने वाले अनेक सिखों ने बताया है कि भारतीय दूतावास के अधिकारियों ने हिंदुओं-सिखों को सुरक्षित स्थान पर भेजा है
जैसे जैसे वक्त बीत रहा है, अफगानिस्तान पर तालिबान का शिकंजा गहराता जा रहा है। ऐसे में वहां अल्पसंख्यक हिंदू और सिख समुदाय के लोग अपनी और अपने परिवारों की जान की हिफाजत को लेकर सांसत में हैं। वे चाहते हैं कि जितनी जल्दी हो, उन्हें भारत पहुंचाया जाए। वे बदहवासी और परेशानी से घिरे हैं। ऐसी परिस्थिति में वहां के भारतीय दूतावास के अधिकारी अपनी तरफ से हरसंभव प्रयास कर रहे हैं ताकि उनकी सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
भारतीय दूतावास की ओर से हिन्दू-सिख समुदाय की मदद करने के लिए अनेक स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं। काबुल के रहने वाले अनेक सिखों ने बताया है कि भारतीय दूतावास के अधिकारियों ने 19 अगस्त को लगभग 60 हिंदुओं-सिखों को अफगानिस्तान के करता-परवान में गुरुद्वारा सिंह सभा से किसी सुरक्षित स्थान पर भेजा है।
काबुल में कई सिखों ने कहा है कि वे कनाडा या अमेरिका नहीं, सिर्फ भारत जाना पसंद करेंगे, क्योंकि भारत में स्थिति कहीं बेहतर है। सूत्रों ने बताया है कि अफगानी संसद में सिख समुदाय के दो सदस्यों अनारकली कौर होनारयार (उच्च सदन) और नरेंद्र सिंह खालसा (निचले सदन) भी सुरक्षित स्थानों पर भेजे गए लोगों में शामिल हैं। नरेंद्र खालसा उन्हीं अफगानी सिख नेता अवतार सिंह खालसा के बेटे हैं, जिनकी जलालाबाद में 2018 में आतंकवादी हमले में हत्या की गई थी।
तालिबान के भय से कम से कम 285 सिखोें-हिंदुओं ने गुरुद्वारे में शरण ली हुई है। इनमें से ज्यादातर के पास अपने दस्तावेज हैं। ये लोग काबुल, जलालाबाद और गजनी से यहां सुरक्षा की आस में पहुंचे हैं। तीन दिन पहले कुछ अफगानी सिखों ने एक वीडियो जारी किया था और उसके माध्यम से अमेरिका और कनाडा से मदद मांगी थी। एक स्थानीय सिख का कहना है कि पांच अफगानी सिखों की संपत्ति भारत में है। इसलिए वे भारत में ही जाना चाहते हैं। लेकिन जिनकी भारत में संपत्ति नहीं है, वे अमेरिका या कनाडा जाना चाहते हैं।’
तालिबान के भय से कम से कम 285 सिखोें-हिंदुओं ने गुरुद्वारे में शरण ली हुई है। इनमें से ज्यादातर के पास अपने दस्तावेज हैं। ये लोग काबुल, जलालाबाद और गजनी से यहां सुरक्षा की आस में पहुंचे हैं। तीन दिन पहले कुछ अफगानी सिखों ने एक वीडियो जारी किया था और उसके माध्यम से अमेरिका और कनाडा से मदद मांगी थी।
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