मनोज ठाकुर
‘किसान नहीं, इन्हें आतंकवादी कहना ठीक रहेगा। जो ठीक कश्मीर के आतंकवादियों की तरह अपनी गतिविधियां हरियाणा में चला रहे हैं।’ हांसी के एसपी कार्यालय का घेराव करने वाले तथाकथित किसान नेताओं पर टिप्पणी करते हुए युवा समाजसेवी सतपाल शर्मा ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि ये असामाजिक तत्व हैं। आंदोलन की आड़ में पूरा दिन यहां हो-हल्ला हो रहा है। इसे आंदोलन नहीं कह सकते। यह असामाजिक तत्वों का जमावड़ा है। जो शहर के लोगों को तो तंग कर ही रहे हैं, सरकार और प्रशासन को भी तंग करने की कोशिश हो रही है। असामाजिक तत्वों को तथाकथित किसान नेता राकेश टिकैत जैसे लोग उकसा कर अव्यवस्था फैला कर अमन चैन को नुकसान पहुंचाना चाह रहे हैं।
दरअसल, 5 नवंबर को हांसी में भाजपा सांसद रामचंद्र जांगड़ा पर शरारती तत्वों ने हमला किया था। इस हमले में उनकी गाड़ी का शीशा तोड़ दिया गया था। पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया तो अपने बचाव के लिए वे लोग किसानों को ढाल की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं। यह भ्रम फैलाने की कोशिश हो रही कि पुलिस ने किसानों के खिलाफ कार्रवाई की है, जबकि सच यह है कि कार्रवाई सांसद पर हमला करने वालों पर की गई है।
हांसी निवासी सुखदेव सिंह ने बताया राकेश टिकैत और गुरनाम चढूनी किसानों को भड़का कर उन्हें कानून हाथ में लेने के लिए उकसा रहे हैं। राकेश टिकैत जैसे लोग अपनी राजनीति चमकाने के लिए अनाप- शनाप बयान दे रहे हैं ताकि प्रदेश का भाईचारा और माहौल बिगड़े। सवाल यह है कि क्या कानून हाथ में लेने वालों के खिलाफ कार्रवाई नहीं होनी चाहिए? आखिर यह तथाकथित किसान नेता चाहते क्या हैं? सुखदेव ने कहा कि तथाकथित किसान नेताओं की कोशिश ही यही है कि ज्यादा से ज्यादा किसान घायल हों, ताकि किसानों को भड़काया जा सके। हांसी से पहले करनाल, हिसार और सिरसा में भी ऐसा हो चुका है।
प्रदेश की सरकार शांतिप्रिय तरीके से विवाद का हल चाहती है। लेकिन तथाकथित किसान नेता इसे सरकार की कमजोरी मान रहे हैं। हांसी में जो हो रहा है, उस पर किसान सुभाष कुमार सैनी का कहना है कि कथित आंदोलन की आड़ में आखिर हो क्या क्या रहा है? क्या यह आंदोलन का तरीका है? इसे आंदोलन नहीं कहना चाहिए, यह तो समाज को तोड़ने की साजिश है। एक समुदाय विशेष के लोग समाज को तोड़ने व बांटने का काम कर रहे हैं। इस समुदाय के लोग पहले भी आरक्षण के नाम पर प्रदेश का अमन चैन खराब कर चुके हैं।
सवाल यह है कि क्या इसी समुदाय विशेष के लोग खेती से जुड़े हुए हैं। दूसरे समुदाय के लोग भी खेती करते हैं, उन्हें न तो कृषि कानूनों से कोई दिक्कत है और न ही वे आंदोलन में शामिल है। उन्हें पता है कि प्रदेश व केंद्र की सरकार किसानों के हित में ही यह कदम उठा रही है। लेकिन एक समुदाय विशेष के लोगों को आम किसान की आर्थिक स्थिति मजबूत होती देखी नहीं जाती।
इससे पहले समुदाय विशेष के नेताओं की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठते रहे हैं। इसलिए वे सूबे के एक प्रमुख विपक्ष दल के कार्यकर्ताओं के साथ मिल कर किसानों के नाम पर इस तरह की गड़बड़ी फैला रहे हैं। हालांकि सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि जो भी कानून हाथ में लेगा, उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई होगी। लेकिन लग रहा है कि इन तथाकथित किसान नेताओं व उनके लिए ढाल बनने वालों को कानून पर यकीन नहीं है। अब खुद को फंसता देख वे बचाव के रास्ते खोज रहे हैं। इसीलिए भाजपा सांसद पर आरोप लगाने की कोशिश हो रही है। समाजसेवी अशोक कुमार का कहना है कि अब वक्त आ गया है, हरियाणा व केंद्र सरकार इन तथाकथित किसान नेताओं व इनकी ढाल बनने वालों के खिलाफ सख्त कदम उठाए। यदि ऐसा नहीं हुआ तो इनकी कोशिश समाज को तोड़ने वाले तत्वों को मजबूत करेगी। ऐलनाबाद उपचुनाव ने भी दिखा दिया है कि तथाकथित किसान नेता आधारहीन है। इनके साथ किसान और ग्रामीण नहीं है।
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