तालिबान अब 'इस्लाम' को अपने उद्देश्य पूर्ति का साधन बनाने की ठान चुका है। इसी कड़ी में तालिबान ने अफगानिस्तान के इमामों को फरमान दिया है कि वे हर शुक्रवार की नमाज के बीच मस्जिद में आए लोगों को बताएं कि वे सरकार के कायदों पर चलें
अफगानिस्तान में अपनी मध्ययुगीन बर्बरता फिर से बरपाने पर उतरे तालिबान की दुनिया में फजीहत हो रही है। तालिबान मुल्ला भी जानते हैं कि पाकिस्तान, चीन, तुर्की और कतर को छोड़कर दुनिया का कोई देश उनके झांसों में नहीं आ रहा है। वे कितनी ही समावेशी सरकार और सबको बराबर के अधिकार देने की बात कर लें, पर उनकी हरकतें देखते हुए उन पर कोई यकीन नहीं करना चाहता है। महिलाओं को एक बार फिर घरों की चारदीवारी में कैद रहने को मजबूर कर दिया गया है। उन्हें नौकरी करने और पढ़ने की इजाजत नहीं है। पुरुषों को दाढ़ी और बाल न कटाने को कहा गया है, चोरी करने का जरा सा शक होने पर हाथ काटने और गोली मारने के शरिया कानून लागू हो ही चुके हैं। सड़क पर बंदूकधारी लड़ाके थानेदारी करते घूम रहे हैं।
दुनिया भर में दुत्कारे जा रहे तालिबान भले कैसी भी 'सरकार' बना लें, लेकिन वे किसी तरह कायदे से चलने वाला संगठन कहा ही नहीं जा सकता। अपनी ऐसी छवि को अब तालिबान मुल्ला इमामों के सहारे सुधारने की जुगत में हैं। वे इसलिए भी इमामों को अपनी छवि सुधारने के काम में जुटाना चाहते हैं क्योंकि वे जानते हैं कि उन पर तो अफगान के नागरिक भरोसा कर ही नहीं सकते, कम से कम इमामों के जरिए अपने मन की बात करवाई जाए जिन पर जनता शायद उनसे ज्यादा यकीन करती है। इसलिए तालिबान अब 'इस्लाम' को अपने उद्देश्य पूर्ति का साधन बनाने की ठान चुका है। इसी कड़ी में तालिबान ने अफगानिस्तान के इमामों को फरमान दिया है कि वे हर शुक्रवार की नमाज के बीच मस्जिद में आए लोगों को बताएं कि वे सरकार के कायदों पर चलें। पहले तालिबान मुल्लाओं ने देश के इमामों को यह आदेश दिया था कि वे शुक्रवार की नमाज के दौरान तालिबान विरोधी खबरों पर कान न देते हुए नागरिकों तक 'सही जानकारी' दें। तालिबान ने इमामों पर लोगों से यह कहने का भी जोर डाला था कि वे अफगानिस्तान छोड़कर न जाएं।
तालिबान ने इमामों से साफ कहा है कि लड़ाकों के राज को लेकर जितनी भी उल्टी-सीधी बातें फैलाई जा रही हैं, उन्हें लोगों के गले उतरने से रोकें और नागरिकों को देश छोड़कर जाने से मना करें। यानी तालिबान विरोधी नकारात्मक प्रचार की काट करें। तालिबान के मुल्लाओं को लगता है, इससे शायद उनकी छवि सुधर जाएगी और दुनिया में उनकी स्वीकार्यता बढ़ जाएगी।
ताजा खबरों के अनुसार, तालिबान ने इमामों से साफ कहा है कि लड़ाकों के राज को लेकर जितनी भी उल्टी-सीधी बातें फैलाई जा रही हैं, उन्हें लोगों के गले उतरने से रोकें और नागरिकों को देश छोड़कर जाने से मना करें। यानी तालिबान विरोधी नकारात्मक प्रचार की काट करें। तालिबान के मुल्लाओं को लगता है, इससे शायद उनकी छवि सुधर जाएगी और दुनिया में उनकी स्वीकार्यता बढ़ जाएगी। इसके लिए ज्यादा से ज्यादा इमामों का इस्तेमाल करना चाहता है। तालिबान पहले ही कह चुका है कि अफगानिस्तान में पूरी तरह से शरिया का राज चलेगा।
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