कृषि कानूनों के विरोध में हरियाणा स्थित करनाल में चल रहे आंदोलनजीवियों के प्रदर्शन ने अड़ियल रवैया अख्तियार किया हुआ है। स्थिति यह है कि प्रशासन की अपील को वह मानने को तैयार नहीं हैं।
मनोज ठाकुर
कृषि कानूनों के विरोध में हरियाणा स्थित करनाल में चल रहे आंदोलनजीवियों के प्रदर्शन ने अड़ियल रवैया अख्तियार किया हुआ है। स्थिति यह है कि प्रशासन की अपील को वह मानने को तैयार नहीं हैं। इधर आंदोलन की वजह से करनाल में सामान्य जनजीवन अस्त व्यस्त हो रहा है। लोगों को रोजमर्रा के काम में भी दिक्कत आ रही है।
करनाल के उपायुक्त निशांत कुमार यादव ने बताया कि किसानों से बातचीत के रास्ते खुले हैं। जिला प्रशासन ने धरना समाप्त कराने का प्रयास किया, पर वह तमाम तरह की बातों को लेकर अड़े हैं। आंदोलनकारियों की मंशा साफ नहीं है।
उन्होंने कहा कि करनाल में लघु सचिवालय के गेट के सामने पिछले तीन दिन से धरने पर बैठे प्रर्दानकारियों को जिला प्रशासन ने लगातार दो दिन बातचीत के लिए बुलाया। यह लोग अपनी बात को मनवाने के लिए प्रशासन पर दबाव बनाने की कोशिश करते रहे। बैठक में प्रशासन की ओर से यह प्रस्ताव रखा गया कि इस समाधान के लिए अफसरों व किसानों की संयुक्त कमेटी बनाई जाए। जो दोषी निकलेगा उस पर कार्रवाई होगी। इस सर्वमान्य प्रस्ताव को भी इन्होंने दरकिनार कर दिया।
उपायुक्त ने बताया कि प्रशासन धैर्य और संयम का परिचय देते हुए किसानों से बातचीत करने के रास्ते खोले हुए है। लगातार किसानों से जिला प्रशासन द्वारा धरना समाप्त करने की अपील की जा रही है। परंतु आंदोलनकारी सिर्फ एक ही बात पर अड़े हुए हैं कि तत्कालीन एसडीएम को सस्पेंड किया जाए। बता दें कि कुछ दिन पहले एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें एसडीएम द्वारा प्रदर्शनकारियों के साथ सख्ती के साथ निपटने के लिए कहा गया था।
विदेशों से होने लगी फंडिग
आंदोलनजीवियों की मदद के लिए पंजाब और अमेरिका से मदद आनी शुरू हो गई है। अमेरिका के डाक्टर स्वयंमान सिंह ने यहां पक्के शेड बनवाने शुरू कर दिए हैं। इससे करनाल के लोगों में डर का माहौल बना हुआ है। करनाल निवासियों को चिंता है कि यदि इन्हें यहां से जल्दी नहीं हटाया गया तो इसका असर व्यापार और सामान्य कामकाज पर पड़ेगा।
करनाल निवासी एडवोकेट जगपाल सिंह ने कहते हैं कि किसानों की आड़ में जिले की कानून व्यवस्था को खराब करने की कोशिश हो रही है। कोशिश यह हो रही है कि करनाल में भी दिल्ली की तरह गड़बड़ी हो सके। इसलिए कट्टर सोच वाले लोग यहां मदद की आड़ में लगातार डेरा लगाए हुए हैं। इन पर रोक लगनी चाहिए। उन्होंने बताया कि इसकी जांच होनी चाहिए कि क्यों और किसके कहने पर यहां पक्के शेड बनाए जा रहे हैं। कैसे कोई बाहरी व्यक्ति इस तरह से यहां पक्के शेड बनवा सकता है।
जगपाल सिंह ने बताया कि यह अलगाववादी नीति है। आंदोलन की आड़ में इसे बढ़ावा दिया जा रहा है। यहां समाज को तोड़ने की कोशिश हो रही है। पंजाब से अलगावादी सोच के लोग यहां आकर भड़काऊ भाषण दे रहे हैं। उन्हें भी रोका जाना चाहिए।
अंबाला जिले के नाराणगढ़ विधानसभा क्षेत्र के शहजादपुर कस्बे के किसान अमन कुमार चौहान ने बताया कि किसानों की आड़ में कुछ लोग अपना एजेंडा चला रहे हैं। करनाल में किसान नहीं, एक कट्टरविचारधारा के लोग जमा हो रहे हैं। वे बात किसान की करते हैं, लेकिन इस आड़ में करना कुछ और चाह रहे हैं। ऐसे लोगों पर रोक लगनी चाहिए। क्योंकि यदि रोक नहीं लगेगी तो करनाल में भी सिंघु व टिकरी बॉर्डर की तरह स्थिति खराब हो जाएगी।
उन्होंने बताया कि जिस तरह से सिंघु और टिकरी बाॅर्डर के चलते लोगों को भारी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, करनाल में भी इस तरह की दिक्कत आ सकती है। इसलिए इस पर रोक लगनी चाहिए। अमन कुमार चौहान ने बताया कि जब सरकार जांच की बात कर रही है तो फिर जांच से भागना क्यों ? जांच हो, इससे सच सामने आ जाएगा। सरकार ने तो यहां तक भी बोल दिया कि जांच कमेटी में किसानों के प्रतिनिधियों को भी शामिल किया जाए। तो क्या इन्हें किसान प्रतिनिधियों पर यकीन नहीं है। इससे तो यही लग रहा है कि यह किसान ही नहीं हैं और ना इनका किसानों से कोई वास्ता है। यह तो बस किसी दूसरे एजेंडे के तहत काम कर रहे हैं।
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