डॉ समन्वय नंद
ओडिशा का जनजाति बहुल सुंदरगढ़ जिला हमेशा से ही ईसाई मिशनरियों के निशाने पर रहा है। यहां के एक गांव में बार—बार ईसाई पादरी द्वारा कन्वर्जन का प्रयास किया जा रहा था। ग्रामीणों ने पादरी को हिदायत दी और लिखित रूप से यहां प्रचार करने के लिए न आने की बात लिखवा कर ही छोड़ा
ओडिशा का जनजाति बहुल सुंदरगढ़ जिला हमेशा से ही ईसाई मिशनरियों के निशाने पर रहा है। इस जिले में कन्वर्ट लोगों की संख्या भी अन्य जिलों की तुलना में अधिक हैं। यहां के एक गांव में बार—बार ईसाई पादरी द्वारा कन्वर्जन का प्रयास किया जा रहा था। ग्रामीण उसे बार—बार यहां प्रचार के लिए न आने की हिदायद देते रहे। लेकिन वह फिर भी नहीं मान रहा था। पिछले 26 सितंबर को ग्रामीणों ने पादरी से लिखित रूप से यहां प्रचार करने के लिए न आने की बात लिखवा कर ही छोड़ा। इस कारण इलाके में काफी तनाव दिखा।
प्राप्त जानकारी के अनुसार रेंगाली इलाके के एक पादरी महेन्द्र साहू सुंदरगढ़ जिले के हेमगिरि प्रखंड स्थित कनिका पंचायत के टांगरडिही गांव में बार—बार आकर सरल लोगों को बहला—फुसलाकर उनका कन्वर्जन कराने का प्रयास करता था। वह पिछले एक साल से नियमित गांव में आता रहता था। ग्रामीण उसे बार—बार समझाते थे कि वह इस कार्य के लिए यहां न आये। लेकिन वह मानता नहीं था। बार—बार कन्वर्जन के प्रयास में यहां आता रहता था। लेकिन गत 26 सितंबर को ग्रामीणों का सब्र का बांध टूट गया। ग्रामीण काफी आक्रोशित दिखे तथा इसे लेकर गांव में भारी तनाव देखा गया। बाद में ग्रामीणों ने पादरी को उनके प्रखंड में कभी मतांतरण के लिए न आने की बात लिखित में देने के बाद ही छोड़ा।
विश्व हिन्दू परिषद के सुंदरगढ़ के संगठन मंत्री रामचंद्र नाएक ने कहा कि कन्वर्जन के कारण समाज में अशांति व विभेद पैदा होता है। इसलिए कन्वर्जन को रोका जाना चाहिए। ओडिशा में अवैध रूप से कन्वर्जन रोकने के लिए कानून लागू है। लेकिन दुर्भाग्य से इस कानून का सही रूप से क्रियान्वयन नहीं हो रहा है। इस कारण उस तरह की घटनाएं सामने आ रही है। आवश्यकता इस बात की है कि राज्य सरकार इस कानून को कड़ाई से लागू करे, ताकि गांव–गांव में किसी प्रकार की अशांति की स्थिति उत्पन्न न हो।
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