सोशल मीडिया से लेकर सड़क तक यह बात चर्चा का विषय है कि पंजाब में चर्च के कन्वर्जन रैकेट को मजबूत करने की तैयारी प्रारंभ हो गई है। कैप्टन अमरिन्दर सिंह की विदाई के निहितार्थ को नए मुख्यमंत्री के चर्च प्रेम में देखा जा रहा है।
आशीष कुमार 'अंशु'
सोशल मीडिया से लेकर सड़क तक यह बात चर्चा का विषय है कि पंजाब में चर्च के कन्वर्जन रैकेट को मजबूत करने की तैयारी प्रारंभ हो गई है। कैप्टन अमरिन्दर सिंह की विदाई के निहितार्थ को नए मुख्यमंत्री के चर्च प्रेम में देखा जा रहा है।
यह संयोग ही है कि जब यह खबर चर्चा का विषय बनी है, उसी दौरान उत्तर भारत के अंदर जालंधर में दुनिया का चौथा सबसे बड़ा चर्च पास्टर अंकुर यूसूफ नरुला (https://www.ankurnarula.org/) की निगरानी में तैयार हो रहा है। इस चर्च को तैयार करने में एक अनुमान के अनुसार 2000 करोड़ की लागत आएगी, जिसके लिए दुनिया के दूसरे हिस्सों के चर्च मदद कर रहे हैं। पंजाब के अंदर चर्च ने अपने पैर पसारने शुरू कर दिए हैं। कन्वर्जन का कारोबार गति पकड़ चुका है। कन्वर्जन का अभिशाप बलिदानियों की धरती चमकौर साहिब तक पहुंच चुका है। पंजाब के अंदर क्रिप्टो क्रिश्चियन मुख्यमंत्री की बात यदि सही है तो आने वाले समय में यह खतरा और भी अधिक गंभीर होने वाला है। भारतीय समाज को सावधान हो जाना चाहिए।
बलिदानियों की धरती चमकौर साहिब
चमकौर साहिब हिमाचल प्रदेश से लगा पंजाब के नवनिर्मित जिले रूपनगर का एक शहर है। सिखी इतिहास में इस शहर का खासा महत्व है। यूं ही चमकौर साहिब को बलिदानियों की धरती नहीं कहा जाता। चमकौर साहिब में ही गुरु गोविंद सिंह जी के बेटे अजीत सिंह और जुझार सिंह बलिदान हुए। गुरु के तीनों भाई मोहकम सिंह, हिम्मत सिंह और साहिब सिंह ने मुगलों से लड़ते हुए अपनी जान की बाजी इसी धरती के लिए लगा दी। उनके साथ 40 और लोग मुगलों से लड़ते हुए बलिदान हुए।
चमकौर का युद्ध
दिसंबर, सन 1704 में मुगलों ने अपना वादा तोड़ते हुए गुरु गोविंद सिंह पर हमला कर दिया था। यह लड़ाई आनंदपुर साहिब से सरसा नदी तक चलती रही। बाद में गुरु गोविंद सिंह अपने दो बेटों, पंज प्यारों और मुठ्ठी भर लोगों के साथ चमकौर साहिब आए। दूसरी तरफ मुगलों की 10 लाख की सेना थी। गुरु गोविंद सिंह इतनी बड़ी मुगलिया फौज देखकर भी डरे नहीं। जबकि उनके साथ उस समय 40 लोग ही मौजूद थे। ये मुट्ठी भर लोग मुगलों की दस लाख सेना पर कहर बनकर टूट पड़े। गुरु गोविंद सिंह मुगलों की पकड़ में नहीं आए लेकिन चमकौर साहिब की धरती पर बाकी सभी बलिदान हुए।
जिस चमकौर साहिब को मुगलों पर मौत बनकर टूट पड़े बलिदानियों के लिए याद किया जाता है, उसी शहर में एक चर्च का उदघाटन करने के लिए कांग्रेस के वर्तमान मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी पहुंचते हैं। एक निजी चैनल के अनुसार मुख्यमंत्री के घर में जीसस की प्रतिमा लगी मिली। पंजाब के नए मुख्यमंत्री चाहे दावा अनुसूचित जाति का करते हों लेकिन उनकी आस्था चर्च पर है। उन्होंने अपने घर में यदि जीसस को स्थान दिया है तो उनकी आस्था जिसस में होने की बात पर संदेह नहीं किया जा सकता। अब बहस का मुद्दा सिर्फ इतना है कि पंजाब के नए मुख्यमंत्री यदि कन्वर्ट हो चुके हैं तो उन्हें इस बात को स्वीकार करना चाहिए कि वे कन्वर्ट हुए हैं। क्रिश्चियन भी तो एक रिलीजन है। यदि कांग्रेस इको सिस्टम के दबाव में भी उन्हें कन्वर्ट होना पड़ा फिर भी कम से कम उन्हें यह बात स्वीकार तो कर लेनी चाहिए।
मसीह परिवार के यूट्यूब चैनल पर चमकौर साहिब चर्च का एक वीडियो 'नवजोत सिंह सिद्धू ने लगाए हलेहुइया के नारे'
शीर्षक से लगाया गया है। इस वीडियो में दो मिनट 15 सेकेन्ड पर पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी जिस प्रकार सिद्धू का चर्च में स्वागत कर रहे हैं, उसे देखकर यही लगता है कि चन्नी चर्च वालों में से ही एक हैं। जिन्हें चर्च ने क्रिप्टो क्रिश्चियन की संज्ञा दी हुई है।
कांग्रेस में कन्वर्ट को विशेष सम्मान
यदि चन्नी भी खुद को क्रिप्टो क्रिश्चियन स्वीकार कर लेते हैं तो यह कांग्रेस के अंदर ईसाइयों के आगे बढ़ने की कोई पहली घटना नहीं होगी। यह पार्टी पादरियों और कन्वर्ट हुए लोगों का विशेष ख्याल रखती है। कांग्रेस में कई कद्दावर नेताओं को किनारे लगाकर यदि अजीत जोगी को कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री के लिए उपयुक्त समझा तो इसके पीछे की वजह उनका ईसाई होना ही बताया जाता है। वर्तमान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के परिवार की हिन्दू समाज से नफरत किसी से छुपी हुई बात नहीं है। उनके पिता कन्वर्जन के समर्थक हैं। राजशेखर रेड्डी और मधु कोड़ा का नाम भी इसी श्रृंखला में लिया जा सकता है।
चन्नी से पहले चल रहा था अम्बिका का नाम
''मैं सीएम पद की रेस में नहीं, चाहती हूं कोई सिख चेहरा ही बने मुख्यमंत्री।'' पंजाब का प्रतिनिधित्व करने वाली कांग्रेस की वरिष्ठ नेता अम्बिका सोनी को बहुत से लोग इस बयान से पहले पंजाबी सिख ही मानते थे, लेकिन इस बयान के बाद उनके संबंध में गूगल सर्च से मिली जानकारी शेयर होने लगी। बताया गया कि अम्बिका सोनी ईसाई हैं। 70 के दशक में इंदिरा गांधी के बुलावे पर वे इटली से भारत आई थीं। संयोगवश कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी का संबंध भी इटली से है। अम्बिका के पचास वर्षीय बेटे अनूप की शादी एक अमेरिकी (मेक्सिको) क्रिश्चियन सिल्विया से हुई है।
रॉबट वाड्रा हैं जन्म से ईसाई
फिरोज जहांगीर गांधी परिवार के दामाद रॉबर्ट वाड्रा का ही परिचय देखें तो बताया जाता है कि वे एक खत्री पंजाबी परिवार से हैं, लेकिन खत्री पंजाबियों के कई दर्जन सरनेम के बीच ना वाड्रा सरनेम मिलता है और ना रॉबर्ट नाम। रॉबर्ट नाम क्रिश्चियन समाज के बीच बहुत लोकप्रिय है। मसलन अमेरिकी अभिनेता रॉबर्ट टेलर, रॉबर्ट मेकहम, रॉबर्ट डि नीरो या फिर रॉबर्ट डाउनी जुनियर। सभी क्रिश्चियन ही तो हैं।
रॉबर्ट वाड्रा के परिवार में तीन लोगों की मृत्यु संदेहास्पद परिस्थितियों में हुई। उनके भाई रिचर्ड वाड्रा ने 2001 में आत्महत्या की और बहन मिशेल वाड्रा की मृत्यु एक कार दुर्घटना में हो गई। वर्ष 2009 में यूसूफ सराय के एक गेस्ट हाउस में पिता राजेन्द्र वाड्रा संदिग्ध परिस्थितियों में मृत पाए गए। रॉबर्ट की मां मौरीन वाड्रा स्कॉटलैन्ड से हैं। 'स्टार्स अनफोल्डेड' वेबसाइट के अनुसार रॉबर्ट जन्म से क्रिश्चियन हैं और शादी के बाद वे हिन्दू हो गए। हिन्दू होने के बाद भी उन्हें रॉबर्ट नाम बदलने की जरूरत महसूस नहीं हुई।
राहुल विंची हैं कांग्रेस के वारिस का नाम
सुब्रहमण्यम स्वामी ने एक निजी चैनल से बातचीत करते हुए राहुल गांधी के ईसाई होने की बात कही थी। स्वामी के अनुसार— राहुल ने पढ़ाई के दौरान कई जगहों पर खुद को कैथोलिक ईसाई बताया है। सेंट स्टीफन कॉलेज में पढ़ाई के दौरान भी उन्होंने कैथोलिक ईसाई दर्ज कराया था। स्वामी ने ये भी कहा कि कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में भी राहुल गांधी को गैर हिन्दू होने के आधार पर ही एडमिशन मिला था। उनके पास भारत में दो पासपोर्ट हैं, एक राहुल गांधी के नाम पर दूसरा राहुल विंची के नाम पर। स्वामी के अनुसार— राहुल नियमित चर्च जाते हैं और उनका चर्च का नाम राहुल विंची है।
खतरे में है पंजाब
पंजाब को लेकर जिस प्रकार वर्तमान मुख्यमंत्री को क्रिप्टो क्रिश्चियन लिखा जा रहा है और ऐसे समय में राज्य के छोटे—छोटे शहरों में जब कन्वर्जन अपने पैर पसार रहा है। इन सारी परिस्थितियों को देखते हुए फिलहाल इतना ही लिखा जा सकता है कि पंजाब को इस समय अतिरिक्त सावधान हो जाना चाहिए। राज्य खतरे में है।
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