कथित किसान आंदोलन में फूट पड़ गई है। आंदोलन खत्मक करने के मुद्दे पर संयुक्त किसान मोर्चा दो धड़ों में बंट गया है। कथित आंदोलन में बड़ी संख्या। में शामिल पंजाब के किसान संगठन केंद्र सरकार द्वारा कृषि कानून वापस लेने के बाद घर लौटना चाहते हैं। लेकिन राकेश टिकैत अभी भी धरना-प्रदर्शन को खींचना चाहते हैं। आलम यह है कि बीते 24 घंटे के दौरान वे केंद्र सरकार को दो बार धमकी दे चुके हैं।
केंद्र सरकार द्वारा तीनों कृषि सुधार कानून वापस लेने के बाद सोमवार को पंजाब के 32 जत्थेबंदियों ने आपात बैठक बुलाई। इसमें आंदोलन खत्म करने पर विचार किया गया और घर वापसी के लिए सहमति भी बन गई। पंजाब के किसान संगठन प्रेस कांफ्रेंस इसकी घोषणा भी करने वाले थे, लेकिन संयुक्त किसान मोर्चा इसके लिए तैयार नहीं हुआ। इसी बीच, शाम को राकेश टिकैत भी सिंघु बॉर्डर पहुंच गए। उन्होंने न्यूमनतम समर्थन मूल्य, किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस लेने, मरने वाले किसानों के लिए मुआवजे की मांग पर ठोस आश्वासन मिलने तक संयुक्त किसान मोर्चा से आंदोलन वापस नहीं लेने को कहा। मोर्चे में फूट न दिखे, इसलिए आंदोलन वापसी के फैसले को 1 दिसंबर के लिए टाल दिया गया। बता दें कि पंजाब के किसान संगठनों की आपात बैठक 4 दिसंबर को होने वाली थी। संभावना है कि बुधवार की बैठक के बाद एक साल से चल रहा धरना-प्रदर्शन खत्म हो जाएगा।
हालांकि राकेश टिकैत ने आंदोलन खत्म करने के मुद्दे पर मोर्चे में फूट की बात से इनकार किया है। उन्होंने सफाई देते हुए कहा कि यह आंदोलन केवल पंजाब का नहीं है, बल्कि पूरे देश का है। आंदोलन में फूट को लेकर सरकार द्वारा भ्रम फैलाया जा रहा है। साथ ही, चेतावनी भरे लहजे में कहा कि आंदोलन स्थल पर किसी भी अप्रिय घटना के लिए सरकार जिम्मेदार होगी। पुलिस मुकदमों के साथ किसान घर वापस नहीं जाएंगे। टिकैत ने कहा कि अपनी मांगें मनवाए बिना किसान यहां से नहीं जाएंगे। सरकार चाहती है कि हम बिना बातचीत किए धरना खत्म कर दें। सरकार इस गलतफहमी में नहीं रहे कि देश के किसान आगे कोई धरना-प्रदर्शन नहीं करेंगे। बीते 24 घंटे में सरकार को टिकैत की यह दूसरी धमकी है। इससे पहले महाराष्ट्र में टिकैत ने केंद्र सरकार को 26 जनवरी जैसा ट्रैक्टर मार्च करने की धमकी दी थी।
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