ओआईसी के महानिदेशालय ने ट्वीट में राज्य से 'सैकड़ों मुसलमान परिवारों को निकाल बाहर करने के अभियान' के विरुद्ध हुए विरोध प्रदर्शन में 'कई मुसलमानों की मौत' होने की बात की है
कितने ही देशों में हो रही मुसलमानों की दुर्गति पर कभी मुंह खोलने की हिम्मत न दिखाने वाले ओआईसी यानी 'आर्गनाइजेशन आफ इस्लामिक कंट्रीज' संगठन को भारत का असम फौरन दिख गया। ये वही ओाअईसी है जो अफगानिस्तान, चीन, सीरिया तथा पाकिस्तान में मुसलमानों के दमन पर शुतुरमुर्ग की तरह आंख रेत में धंसाए रखता है। इस संगठन ने पिछले दिनों असम पुलिस द्वारा वर्षों से हजारों एकड़ सरकारी जमीन पर कब्जा किए बैठे बांग्लादेशी घुसपैठियों के अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई को लेकर 'मुस्लिम उत्पीड़न' का रोना रोया है। उन्हीं कट्टर मजहबी घुसपैठियों के लिए बुक्के फाड़कर रोया गया जिसने हथियारबंद होकर अतिक्रमण हटाने आई पुलिस पर हिंसक हमला बोलकर कई पुलिस वालों को गंभीर रूप से जख्मी किया था। ओआईसी के महानिदेश कार्यालय ने 7 अक्तूबर को ट्वीट जारी करके कहा है कि उनका संगठन 'असम में सुनियोजित उत्पीड़न और हिंसा की निंदा' करता है।
दुनिया के 57 मुस्लिम बहुल देशों के इस संगठन ने सरकार और अधिकारियों से जिम्मेदारी निभाने को कहा, जबकि दूसरे देशों में बुरी तरह यातनाएं भोग रहे मुस्लिमों के लिए ओआईसी ने गहरी खामोशी ओढ़ी हुई है। इस्लामिक देशों के इस संगठन की भारत के अंदरूनी मामले पर यह बयानबाजी कोई नई बात नहीं है। कश्मीर के लिए इसे बार—बार 'दर्द' महसूस हो चुका है। इस बार ओआईसी ने असम में पिछले दिनों बांग्लादेशी घुसपैठियों और पुलिस के बीच हुई हिंसक झड़प की आड़ में भारत को ज्ञान बांटा है।
ओआईसी के महानिदेशालय ने ट्वीट में राज्य से 'सैकड़ों मुसलमान परिवारों को निकाल बाहर करने के अभियान' के विरुद्ध हुए विरोध प्रदर्शन में 'कई मुसलमानों की मौत' होने की बात की है। इतना ही नहीं, ओआईसी ने मीडिया रपटों का उल्लेख करते हुए अफसोस जताया और भारत सरकार और भारत के अधिकारियों को जिम्मेदारी का सबक दिया। ओआईसी ने भारत सरकार से 'मुस्लिमों की रक्षा' करने और उनके सभी 'मजहबी तथा सामाजिक हकों का सम्मान करने' को कहा। इसके साथ ही, ओआईसी ने भारत को 'संवाद की महत्ता' के बारे में ज्ञान दिया। क्या ही अच्छा होता अगर वह ऐसा थोड़ा ज्ञान पाकिस्तान, चीन और अफगानिस्तान की हुकूमतों को भी देता तो लाखों मुस्लिमों की जान बच गई होती।
दुनिया के 57 मुस्लिम बहुल देशों के इस संगठन ने सरकार और अधिकारियों से जिम्मेदारी निभाने को कहा, जबकि दूसरे देशों में बुरी तरह यातनाएं भोग रहे मुस्लिमों के लिए ओआईसी ने गहरी खामोशी ओढ़ी हुई है। इस्लामिक देशों के इस संगठन की भारत के अंदरूनी मामले पर यह बयानबाजी कोई नई बात नहीं है। कश्मीर के लिए इसे बार—बार 'दर्द' महसूस हो चुका है।
विशेषज्ञों के अनुसार, साफ है कि ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कंट्रीज दुनियाभर के मुस्लिम देशों के रहनुमा होने का स्वांग भरता है, लेकिन जहां 25 सितंबर 1969 में बने इस संगठन का पाकिस्तान संस्थापक सदस्य है तो दुनिया में मुसलमानों की दूसरी सबसे अधिक आबादी वाला भारत इसका सदस्य नहीं है। मजहबी उन्मादी पाकिस्तान आरम्भ से ही भारत के विरुद्ध इस संगठन का दुरुपयोग करता आया है। विशेष रूप से कश्मीर को लेकर पाकिस्तान ने कई बार ओआईसी को भारत के विरुद्ध भड़काया है और भ्रामक तथ्य दिए हैं।
पाकिस्तान ने ही 2019 में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35ए के निरस्त होने पर ओआईसी पर कड़ी प्रतिक्रिया देने का दबाव डाला था। लेकिन तब सऊदी अरब की अगुआई वाले इस संगठन ने भारत के कूटनीतिक प्रयासों के बाद, इस मामले में पाकिस्तान को अकेला छोड़ दिया था। उलटे, इस मुद्दे पर सऊदी अरब पर छींटाकशी करते पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी के बयानों पर पलटवार करते हुए उसने पाकिस्तान को कर्ज पर तेल देना बंद कर दिया था। इतना ही नहीं, उसने पाकिस्तान को 3 अरब डालर के एक कर्ज को लौटाने का फरमान सुनाया था।
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