विश्वजीत सिंह अनंत की फेसबुक वाल से
जयपुर से 160 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में एक जिला है-झुंझुनू। वहां से 25 किलोमीटर दूर एक गांव है गांगियासर। गांव में एक विख्यात राय माता का मंदिर है, जो आसपास के लाखों श्रद्धालुओं की श्रद्धा का केंद्र है। झुंझुनू में हिन्दू समाज की जाट और राजपूत जाति मुख्य हैं, दूसरा समुदाय मुस्लिम है। झुंझुनू के जिलाधिकारी मुस्लिम समुदाय से हैं, इसलिए जोश में आकर मंदिर की धरती पर से रास्ता निकालने के लिए मंदिर की तारबंदी तोड़ दी। मंदिर के महंत महाराज ने तुरंत प्रतिकार किया और स्थानीय हिन्दू वहां एकत्रित होकर विरोध करने लगे।
कांग्रेस की विधायक रीटा चौधरी, जो कि जाट समुदाय से हैं, ने हिन्दुओं व साधुओं को कहा कि यदि शांति चाहते हैं तो रास्ता दे दीजिए। फिर क्या था, जाट समुदाय रीटा पर बिफर पड़ा और कह दिया कि देखते हैं, हमारे वोटों के बिना कैसे जीतेंगी अगली बार? विधायक ने रास्ता दिलवाने के लिए आसपास के थानों से सैकड़ों पुलिस वाले बुला लिए, तो महंत महाराज ने भी आसपास के सारे मठाधीशों व सन्त समाज को बुला लिया। साथ ही, सारे हिन्दू भी एकत्रित हो गए।
आखिरकार पुलिस मंदिर की धरती पर पुन: तारबंदी करके थानों को लौट गई। यह जीत हिन्दू एकता की थी। भले ही राजस्थान में कांग्रेस की सरकार है, लेकिन कांग्रेसी विधायक को साम्प्रदायिक सद्भाव का सच्चा अर्थ जाटों, राजपूतों, ब्राह्मणों व अन्य हिन्दुओं ने मिलकर समझा दिया। इस घटना के बारे में आपको जानना क्यों जरूरी है? यह जानने के लिए कि अगर हम अपनी पर उतर आए तो तुष्टीकरण की नाक में उंगली कर सकते हैं। हिन्दू धर्म के धर्माचार्यों ने बहुत लंबे समय तक अपने को सिर्फ मंदिरों व मठों तक सीमित रखा, लेकिन आज वे खुलकर समाज के नेतृत्व के लिए आगे आ रहे हैं। एक मुंगेर, एक पालघर से हम रुकने वाले नहीं हैं। यह घटना एक सुखद परिवर्तन है।
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