पश्चिम उत्तर प्रदेश डेस्क
गढ़ मुक्तेश्वर में गंगा में एक लाख से ज्यादा मछलियों को डाला गया है। गंगा में गढ़ से अमरोहा तक तीन लाख से ज्यादा मछलियों को प्रवाहित किया गया। इसके पीछे उद्देश्य ये है कि गंगा को प्राकृतिक रूप से साफ रखा जाए। पिछले दिनों गंगा में कछुए भी डाले गए थे।
गढ़ मुक्तेश्वर में गंगा में एक लाख से ज्यादा मछलियों को डाला गया है। गंगा में गढ़ से अमरोहा तक तीन लाख से ज्यादा मछलियों को प्रवाहित किया गया। इसके पीछे उद्देश्य ये है कि गंगा को प्राकृतिक रूप से साफ रखा जाए। पिछले दिनों गंगा में कछुए भी डाले गए थे।
गढ़ गंगा से लेकर अमरोहा तक सहज रूप से डॉल्फिन मछलियां दिखाती देती थीं. इसके अलावा अन्य जलीय जीव भी नजर आते थे। पर गंगा में प्रदूषण बढ़ने पर यह जीव लुप्त होते गए। अब फिर से इन जीवों को गंगा में डाला जा रहा है, ताकि इनके जरिए प्राकृतिक रूप से गंगा को साफ बनाये रखने में मदद मिले। इसी कड़ी में केंद्रीय मत्स्य और पशु पालन मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला के साथ प्रशासन की टीम ने गंगा में जाकर मछलियों का जलावतरण करवाया।
बता दें कि कानपुर मत्स्य विभाग की हैचरी में तैयार तीन लाख बीस हज़ार मछलियों को गंगा में छोड़ा गया है, जिनमें एक लाख मछलियां गढ़ गंगा में डाली गई हैं। रोहू, कतलन, नायन, महाशीर प्रजाति की मछलियां जलशोधन का कार्य करती हैं।
इस सम्बंध में जलीय जीव विशेषज्ञ डॉ विपुल मौर्य बताते हैं कि गंगा को साफ करने के लिए अभी और प्राकृतिक उपाय करने जरूरी हैं। यदि गंगा में जलीय जीवों का संरक्षण होगा तो गंगा स्वाभाविक रूप में लौट आएगी।
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