पश्चिम उत्तर प्रदेश डेस्क
उत्तर प्रदेश स्थित रामपुर जिले की विवादास्पद जौहर यूनिवर्सिटी पर अब आज़म खां और उनके परिवार के ट्रस्टियों का हक खत्म हो गया है। सरकार की तरफ से प्रशासन की टीम ने जाकर यूनिवर्सिटी पर अपना कब्जा ले लिया।
उत्तर प्रदेश स्थित रामपुर जिले की विवादास्पद जौहर यूनिवर्सिटी पर अब आज़म खां और उनके परिवार के ट्रस्टियों का हक खत्म हो गया है। सरकार की तरफ से प्रशासन की टीम ने जाकर यूनिवर्सिटी पर अपना कब्जा ले लिया।
मौलाना मुहम्मद अली जौहर ट्रस्ट द्वारा स्थापित जौहर यूनिवर्सिटी, सपा सांसद आज़म खां की निजी मिल्कियत बनती जा रही थी। सरकार की ज़मीन पर स्थापित इस यूनिवर्सिटी के आजीवन चांसलर खुद आज़म खां बन बैठे थे। सपा सरकार में रहते आज़म खां ने तत्कालीन राज्यपाल डॉ अजीज कुरेशी से अपनी मर्जी से हर वो काम करवाये जो कि नियमों के विपरीत थे। उनके लिए शासनादेश रातोंरात दिए जाते थे। नियम—कानून की अनदेखी के खिलाफ भाजपा नेता आकाश सक्सेना की शिकायत पर जांच शुरू हुई और वर्तमान सरकार ने इस पर अपनी लीगल कार्रवाई शुरू की।
आज़म ख़ां जो कि इस यूनिवर्सिटी के ट्रस्टी हैं। इस समय वह कानून के घेरे में हैं और उन पर 50 से ज्यादा मामलो में एफआईआर दर्ज है। सरकार के निर्देश पर तहसीलदार सदर प्रमोद कुमार ने जाकर यूनिवर्सिटी वीसी सुल्तान अहमद को इस विवि को ट्रस्ट से बेदखल करने व सरकार के नियंत्रण में लेने के दस्तावेज़ों पर हस्ताक्षर करने को कहा। जिस पर कुलपति ने यह कहकर इंकार कर दिया कि वे एक मुलाजिम हैं। तहसीलदार ने यूनिवर्सिटी की बिल्डिंग समेत 265 एकड़ भूमि को अपने कब्जे में लेने के प्रपत्र नोटिस बोर्ड पर चस्पाकर जौहर ट्रस्ट को यूनिवर्सिटी से बेदखल करते हुए सरकार के नियंत्रण का फरमान सुना दिया।
सरकार की तरफ से ट्रस्ट द्वारा खरीदी गई साढ़े बारह एकड़ जमीन को छोड़ दिया गया। शेष ज़मीन की लीज कैंसिल करते हुए उसे अपने कब्जे में ले लिया गया। अनुसूचित जाति किसानों से खरीदी गई जमीन पर भी जिलाधिकारी की अनुमति नही होने के कारण जमीन को किसानों को वापस दिया जा सकता है। ये मामला उच्च न्यायालय में भी चल रहा है।
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