उत्तर प्रदेश एक अंधी सुरंग से लौटा है. ये वही प्रदेश है, जहां मुख्तार अंसारी जैसे माफिया को पार्टी में लेने के लिए कतार लगती थी. आज उस मुख्तार अंसारी की जुर्म, जमीन और सियासत की सल्तनत मिट्टी में मिल चुकी है. उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार क्या बदलाव लाई है, यह सड़कों पर नजर आता है, निवेश में नजर आता है, कानून व्यवस्था में नजर आता है
उत्तर प्रदेश एक अंधी सुरंग से लौटा है. ये वही प्रदेश है, जहां मुख्तार अंसारी जैसे माफिया को पार्टी में लेने के लिए कतार लगती थी. आज उस मुख्तार अंसारी की जुर्म, जमीन और सियासत की सल्तनत मिट्टी में मिल चुकी है. उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार क्या बदलाव लाई है, यह सड़कों पर नजर आता है, निवेश में नजर आता है, कानून व्यवस्था में नजर आता है, किसान के खेत में भी दिखाई देता है और राशन की दुकान पर भी. साढ़े चार साल उत्तर प्रदेश के लिए किसी सपने जैसे रहे हैं. लेकिन उत्तर प्रदेश को सतर्क रहना होगा. यूपी को जुर्म, बेरोजगारी, दंगों, कुशासन के दलदल में धकेलने वाली ताकतें फिर साजिशें रच रही हैं. कभी मंदिरों में मत्था टेककर, कभी ब्राह्मणों को भड़का कर, कभी मुसलमानों को योगी का डर दिखाकर ये अपना दानवी चेहरा छिपाना चाहते हैं. लेकिन यूपी अब उस तरफ मुंह करने को भी तैयार नहीं है.
2017 में जब 300 सीटों के साथ राज्य में भारतीय जनता पार्टी की सरकार आई, तो उस जनादेश में बहुत अपेक्षाएं थीं. 13 साल के कुशासन से टूटा-बिखरा एक प्रदेश था. जहां सरकार नहीं, जुर्म की हुकूमत थी. जहां प्रशासन नहीं, माफिया राज करता था. जहां बिजली का तो पता नहीं था, जान-माल हर वक्त खतरे में थी. जहां सामूहिक बलात्कार पर सरकार की ओर से बयान आते थे- लड़कों से गलती हो जाती है. जहां एक वर्ग विशेष हर किस्म के जुर्म के लिए आजाद था. दंगे के लिए भी. ऐसे ही सरकारी प्रश्रय में मुजफ्फरनगर का कुख्यात हिंदू विरोधी दंगा हुआ. जो सरकार द्वारा प्रायोजित और संरक्षित था. कारोबार ठप पड़ चुके थे, निवेशक और उद्योगपति उत्तर प्रदेश के नाम से कांप उठते थे. तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने इन चुनौतियों से निपटने और प्रदेश को नई राह पर ले जाने के लिए प्रदेश की कमान योगी आदित्यनाथ को सौंपी. गोरक्षपीठ के महंत आदित्यनाथ बहुतों के लिए चौंकाने वाली पसंद थे, लेकिन भाजपा नेतृत्व के लिए कतई नहीं.
19 मार्च, 2017 को योगी ने उत्तर प्रदेश की कमान संभाली. उनकी पहली और सबसे पहली प्राथमिकता थी कानून-व्यवस्था. इस मामले में पूर्ववर्ती अखिलेश यादव सरकार ने मानों बदमाशों और माफिया को खुली छूट दे रखी थी. उन्हें विरासत में जो उत्तर प्रदेश मिला था, वह अराजक था. पुलिस को सीधे निर्देश थे कि अपराधी या तो जेल में रहेगा या फिर…खैर मार्च, 2017 से लेकर मार्च, 2021 तक उत्तर प्रदेश में लगभग तीन हजार एनकाउंटर हुए. इनमें से 137 एनकाउंटर बदमाशों का काल साबित हुए. पुलिस मुठभेड़ में मारे जाने वाले अधिकतर अपराधी ईनामी थे और इनके गैंग उत्तर प्रदेश के कोने-कोने में कोहराम मचाए हुए थे. सड़कों पर गुंडाराज देखने वाली उत्तर प्रदेश की जनता ने वो नजारा भी देखा कि बदमाश एनकाउंटर के डर से खुद ही थाने पहुंचकर गिरफ्तारी देने लगे. ये इतना आसान नहीं था. चार साल में बदमाशों से जूझते हुए 14 पुलिसकर्मियों ने अपना सर्वोच्च बलिदान दिया.
बीते 4 साल का स्कोर कार्ड: कितने बदमाश मारे गए
साल 2017- 28
साल 2018- 41
साल 2019- 34
साल 2020- 26
साल 2021- 8
मारे गए बदमाशों में किस पर कितना इनाम
पांच लाख रुपये- एक
ढाई लाख का इनाम- तीन
2 लाख का इनाम- दो
1.5 लाख का इनाम- तीन
1 लाख का इनाम- 18
50 हजार इनाम- 46
25 हजार इनाम- 20
बदमाशों को मार गिराने में मेरठ अव्वल
मेरठ- 18
मुजफ्फरनगर- 13
सहारनपुर- 10
अलीगढ़- 9
आजमगढ़- 8
शामली- 6
गौतमबुद्धनगर- 6
बाराबंकी- 5
गाजियाबाद- 4
बागपत- 4
बुलंदशहर- 3
माफियाः कभी चलाते थे सरकार, आज जब्त है घरो-बार
उत्तर प्रदेश में कभी माफिया की हुकूमत थी. आज योगीराज में प्रशासन का बुलडोजर अवैध कब्जों पर गरज रहा है. जुर्म से कमाई संपत्तियां जब्त हो रही हैं. यूपी में सरकार ने 25 माफिया को सूचीबद्ध किया था. इनकी अब तक लगभग साढ़े ग्यारह अरब रुपये की संपत्ति जब्त की जा चुकी है.
मुख्तार अंसारी
- माफिया मुख़्तार अंसारी गैंग के 244 सदस्यों पर कार्रवाई हुई. आजमगढ़, मऊ और वाराणसी में 1 अरब 94 करोड़ 82 लाख 67 हजार 859 रुपए की संपत्ति ध्वस्त/जब्त की गई.
- मुख्तार गैंग के 158 अपराधी गिरफ्तार हुए. 122 असलहों के लाइसेंस निरस्त हुए. मुख्तार गैंग के 110 अपराधियों के खिलाफ गैंगस्टर लगा. 30 के खिलाफ गुंडा एक्ट और छह पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत कार्रवाई की गई.
अतीक अहमद
- माफिया अतीक अहमद एवं 89 गुर्गों पर प्रयागराज क्षेत्र में कार्रवाई हुई. अतीक ने गुर्गों के नाम से बेनामी साम्राज्य बना रखा था. अब तक 3 अरब, 25 करोड़ 87 लाख की सम्पत्ति ध्वस्त/जब्त की गई.
- अतीक गैंग के 60 सदस्यों के हथियारों के लाइसेंस जब्त हुए. गैंग के खिलाफ नौ सदस्यों को जेल भेजा गया. इनमें 11 के खिलाफ गुंडा एक्ट और एक के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई की गई.
सुंदर भाटी
माफिया सुंदर भाटी गैंग के नौ गुर्गों पर कार्रवाई में 63 करोड़ 24 लाख 53 हजार की संपत्ति ध्वस्त/जब्त की गई.
गैंग के चार सदस्यों के शस्त्र लाइसेंस निरस्त हुए. दो गुर्गों के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट में कार्रवाई हुई.
ध्रुव कुमार उर्फ कुंटू सिंह
- माफिया कुंटू सिंह गैंग के 43 सदस्यों को गिरफ्तार किया गया.
- गैंग के चार सदस्यों के खिलाफ गुंडा एक्ट और 24 के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट की कार्रवाई की गई.
- कुंटू सिंह गैंग की 17 करोड़ 91 लाख 96 हजार रुपये की सम्पत्ति ध्वस्त/जब्त की गई.
- प्रदेश के सूचीबद्ध अन्य गैंग के खिलाफ अब तक कुल 625 करोड़ की संपत्ति ध्वस्त/जब्त की गई. इसमें कुछ संपत्ति अवैध कब्जों से मुक्त कराई गई.
- इन अपराधियों के खिलाफ की गई कार्रवाई में अब तक 204 शस्त्र लाइसेंस निरस्त किये गए
- अलग-अलग गैंग के 515 सदस्यों के खिलाफ 203 मुकदमे दर्ज किए गए.
- 240 से अधिक अपराधियों की गिरफ्तारी हुई. 67 के खिलाफ गुंडा एक्ट और 148 के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के साथ 6 के खिलाफ रासुका की कार्रवाई की गई.
सजा
- माफियाओं में संजीव उर्फ जीवा (मुजफ्फरनगर), ओमप्रकाश उर्फ बब्लू श्रीवास्तव (लखनऊ), सुंदर भाटी, सिंहराज भाटी (नोएडा) को आजीवन कारावास सज़ा हुई है.
- प्रभावी पैरवी से माफिया आकाश जाट को दो मुकदमों में सात साल और तीन साल की अलग-अलग सजा हुई है. इसी गैंग के अमित भूरा को चार साल की सजा हुई है.
- माफिया से अलग आठ अन्य कुख्यात अपराधियों की अब तक 40 करोड़ रु. मूल्य की संपत्ति ध्वस्त/जब्त की गई.
भाजपा शासन बनाम अखिलेश राज
योगीराज
साल 2017 में हुए अपराध
हत्या – 4324
अपहरण- 19921
बलात्कार- 4246
बलात्कार का प्रयास- 601
बलवा- 8990
लूट- 4089
डकैती- 263
गंभीर वारदातें- 64,450
साल 2018 में हुए अपराध
हत्या- 4018
अपहरण- 21711
बलात्कार- 3946
बलात्कार का प्रयास- 661
बलवा- 8908
लूट- 3218
डकैती- 144
गंभीर वारदातें- 65,155
साल 2019 में हुए अपराध
हत्या- 3806
अपहरण- 16590
बलात्कार- 3065
बलात्कार का प्रयास- 358
बलवा- 5714
लूट- 2241
डकैती- 124
गंभीर वारदातें- 55,519
वर्ष, 2020 में हुए अपराध
हत्या- 3468
बलात्कार- 2317
बलवा- 5376
लूट- 1384
डकैती- 85
कुल दर्ज एफआईआर- 3,52,651
अखिलेश सरकार
साल 2016 में हुए अपराध
हत्या- 4889
अपहरण- 15898
बलात्कार- 4816
बलात्कार का प्रयास- 1958
बलवा- 8018
लूट- 4502
डकैती- 284
गंभीर वारदातें- 65090
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साल 2015 में हुए अपराध
हत्या— 4732
अपहरण- 11999
बलात्कार- 3025
बलात्कार का प्रयास- 422
बलवा- 6813
लूट- 3637
डकैती- 277
गंभीर वारदातें- 40,613
साल 2014 में हुए अपराध
हत्या- 5150
अपहरण- 12361
बलात्कार- 3467
बलवा- 6438
लूट- 3920
डकैती- 294
गंभीर वारदातें- 41889
साल 2013 में हुए अपराध
हत्या- 5047
अपहरण- 11183
बलात्कार- 3050
बलवा- 6089
लूट- 3591
डकैती- 596
गंभीर वारदातें- 38779
आज यूपी में सबसे सुरक्षित हैं महिलाएं
- एक दौर था, जब उत्तर प्रदेश में महिलाओं को अकेले घर से निकलते डर लगता था. इज्जत से लेकर गले में पहनने की चेन तक, कुछ भी सुरक्षित नहीं था. प्रदेश का विपक्ष (जो कभी सत्ता में था) आज भी उसी मानसिकता को लेकर जी रहा है. तभी तो कभी हाथरस तो कभी कहीं किसी घटना को लेकर हो-हल्ला करता रहता है. लेकिन सच ये है कि देश के 21 बड़े राज्यों में सबसे कम महिला अपराध उत्तर प्रदेश में हुए हैं. ऐसा नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट कह रही है. राष्ट्रीय औसत के मुकाबले भी उत्तर प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध कम हैं.
- एनसीआरबी की तरफ से जारी आंकड़ों के अनुसार महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध के मामले में 2019 में देश का कुल औसत 62.4 फीसदी दर्ज किया गया, जबकि उत्तर प्रदेश में 55.4 रहा.
- देश के दूसरे बड़े राज्यों पर गौर करें तो 2019 में महाराष्ट्र में महिलाओं के प्रति अपराध का औसत 63.1 था. पश्चिम बंगाल में 64.0, मध्य प्रदेश में 69.0, राजस्थान में 110.4 था.
- केरल जैसे छोटे राज्य में यह औसत 62.7 रहा.
- यूपी में महिलाओं के प्रति अपराध का औसत 2017 में 53.2 और 2018 में 55.7 रहा, जो कि अन्य राज्यों के मुकाबले काफी कम है।
- समाजवादी पार्टी की अखिलेश सरकार के मुकाबले महिलाओं के साथ दुष्कर्म के मामलों में 32 फीसद की कमी आई है.
- वर्ष, 2016 में यूपी में दुष्कर्म के 3289 मामले दर्ज किए गए थे, जबकि 2020 में यह आंकड़ा 2232 पर आ गया.
- उत्तर प्रदेश में 2016 में महिला अपहरण के 11121 मामले थे. वहीं 2020 तक योगी सरकार की सख्ती के कारण अपहरण के मामलों में 27 फीसदी कमी आई है. कुल 11057 मामले दर्ज हुए.
- अखिलेश सरकार के दौरान 2013 में 2593, 2014 में 2990 और 2015 में 2662 महिलाएं दुष्कर्म का शिकार हुईं.
- महिलाओं के खिलाफ अपराध में सरकार ने जोरदार पैरवी की.
- बलात्कार के मामलों में पांच अपराधियों को फांसी की सजा के साथ योगी सरकार ने 193 मामलों में आजीवन कारावास की सजा दिलाई.
- अभी तक पॉस्को एक्ट में 721 लोगों को सजा दिलाई जा चुकी है.
- निर्भया फंड के तहत योगी सरकार ने महिलाओं की सुरक्षा के लिए लखनऊ पुलिस के साथ वूमन पॉवर लाइन 1090 और अन्य सुरक्षा एजेंसियों को मजबूत और सक्रिय करने का काम किया है.
हत्या के मामले भी घटे
एनसीआरबी के मुताबिक योगी सरकार बनने के बाद से 2016 के मुकाबले हत्या के मामलों में 2020 आते-आते 19.8 प्रतिशत की गिरावट आ गई. प्रति किलोमीटर 690 की आबादी के घनत्व पर 2016 में जहां 30450 हत्याएं हुई थीं, वहीं 2017 में योगी सरकार आने पर ये घटकर 28653 हो गईं. एनसीआरबी के मुताबिक 2016 में प्रतिलाख आबादी पर जहां 2.2 हत्याएं हुईं, वहीं 2017 में ये आंकड़ा घटकर 1.9 मामले रह गया. 2018 में यह 1.8, 2019 में 1.7 और 2020 में प्रति लाख आबादी पर 1.6 लोगों की हत्या हुई.
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