सुनील राय
हिंदू तीर्थस्थलों की उपेक्षा और उनकी पावनता से छेड़छाड़ से सनातनधर्मी दुखी थे परंतु राजनीतिक कारणों से सरकारें इस मुद्दे की उपेक्षा करती रहीं। परंतु अब योगी सरकार ने तीर्थस्थलों की पावनता की पुन:स्थापना की ठानी है। इस क्रम में उत्तर प्रदेश में ब्रज पहला ऐसा तीर्थ स्थल बन गया है जो मांस-मदिरा से पूरी तरह मुक्त है। यह एक बड़ी पहल है
तीर्थ पावन स्थल होते हैं। उनकी पावनता में विकृति इन मतावलंबियों की आस्था पर कुठाराघात है। यह बात सभी मानते हैं। परंतु बात जब हिंदू तीर्थस्थलों की आती है तो चारों ओर खामोशी पसर जाती है। हिंदू दर्शन और संस्कृति मांसाहार का प्रतिकार करती है। मदिरा भी तामसिक है जिसे हिंदू संस्कृति में निषिद्ध माना जाता है। शुद्ध आहार हमारी संस्कृति का महत्वपूर्ण अंग है। ऐसे में यदि हिंदू तीर्थस्थलों के आसपास मांस-मदिरा की खुलेआम बिक्री हो तो धर्मप्राण हिंदू जनता को कैसा लगेगा?
दरअसल, बीते दशकों में पाश्चात्य सभ्यता का प्रभाव बढ़ता गया। साथ ही राजनीतिक शह के कारण इस्लामी आचरण को भी बढ़ावा मिला। इस्लामी तबके के राजनीतिक तौर पर एकजुट होने से राजनीतिक दल और सरकारें होंठ लिए रहती हैं। ऐसे में हिन्दू धार्मिक स्थलों के आस-पास मांस-मदिरा की बिक्री होने लगी और वोट बैंक के चक्कर में पूर्ववर्ती सरकारों ने इस पर प्रतिबंध की बाबत कोई विचार नहीं किया।परंतु अब उत्तर प्रदेश में स्थितियां बदली हैं।
योगी सरकार की बड़ी पहल
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने इस दिशा में बड़ी पहल की है। उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद का गठन करने के बाद मथुरा के सात तीर्थ स्थलों पर मांस-मदिरा की बिक्री को बंद करा दिया गया था। अब मथुरा के 22 वार्डों में मांस और मदिरा को प्रतिबंधित कर दिया गया है। ब्रज, उत्तर प्रदेश का पहला ऐसा जनपद बन गया है जहां पर मांस-मदिरा पूरी तरह प्रतिबंधित है।
मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि के 10 किलोमीटर के दायरे में स्थित घटीबहाल्रराय, गोविंदनगर, मंदीराम दास, चौबियापाड़ा, द्वारिकापुरी, नवनीत नगर, वनखंडी, भरतपुरगैट, अर्जुनपुरा, हनुमान टीला, जगन्नाथ पुरी, गऊघाट, मनोहरपुरा, वैरागपुरा, राधानगर, बदरीनगरा, महाविद्या कॉलोनी, कृष्णानगर प्रथम, कृष्णानगर द्वितीय, कोयलागली, डैम्पीयरनगर एवं जयसिंह पुरा वार्ड को अब पूरी तरह से तीर्थ क्षेत्र घोषित कर दिया गया है। मथुरा की गोकुल विधानसभा सीट से पूर्व विधायक प्रणत पाल सिंह कहते हैं कि ‘‘यह बहुत ही स्वागतयोग्य कदम है। प्रदेश सरकार के इस निर्णय से मथुरा का धार्मिक स्वरूप वापस लौटेगा। ब्रज तीर्थ विकास परिषद का गठन होने के बाद से मथुरा का तेजी से विकास हो रहा है। कृष्ण कालीन मथुरा का युग वापस लौटे, यह हम सभी के लिए गौरव की बात होगी। बीते कुछ दशकों में मथुरा जनपद में जहां-तहां मांसाहारी होटल खुल गए थे। अब ये सभी बंद हो जाएंगे। तीर्थ क्षेत्र में लोगों के आहार में शुद्धता आएगी। ब्रज क्षेत्र में आने वाले श्रद्धालुओं को सनातनी परंपरा की अनुभूति होगी।’’
उत्तर प्रदेश में ब्रज, काशी, अयोध्या एवं प्रयागराज आदि ऐसे धार्मिक नगर हैं जो विश्वविख्यात हैं। मगर राजनीतिक कारणों से पूर्व सरकारों ने इन नगरों को विकास की मुख्यधारा से नहीं जोड़ा। इस कारण से ये सभी धार्मिक नगर उपेक्षा का शिकार होते चले गए। ब्रज की होली तो पूरे विश्व में मशहूर है। मगर ब्रज की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर की तरफ ध्यान नहीं दिया गया।
योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बनने के बाद से हर वर्ष होली के अवसर पर मथुरा पहुंचते हैं। उन्होंने गत वर्ष होली के अवसर पर मथुरा में कहा कि ‘कृष्ण ही ऐसे भगवान हैं जो युद्ध भूमि को नृत्य भूमि बना सकते हैं, इसलिए यहां की होली दुनिया भर में प्रसिद्ध है. यहां की लट्ठमार होली को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई जाएगी। पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए धन की कोई कमी नहीं होने दी जाएगी।’
योगी ने की घोषणा
भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मथुरा पहुंचे। उन्होंने कहा कि ‘चार वर्ष पूर्व मथुरा वासियों की मांग पर मथुरा एवं वृन्दावन नगर पालिकाओं को मिलाकर नगर निगम का गठन किया गया। उसके बाद मथुरा के सात पवित्र स्थलों को राजकीय रूप से तीर्थ स्थल घोषित किया गया और अब मथुरा वासियों की इच्छा है कि इन पवित्र स्थलों पर मांस एवं मदिरा की बिक्री पर रोक लगाई जाए। मैं आश्वस्त करता हूं कि ऐसा ही होगा। इसके लिए जिला प्रशासन को कार्रवाई करने निर्देश भी दिए गए हैं।’
उन्होंने यह भी कहा कि ‘इस व्यवसाय में लगे हुए लोगों को किसी अन्य कार्य का प्रशिक्षण देकर उनका पुनर्वास किया जाना चाहिए। इन लोगों की व्यवस्थित रूप से काउंसलिंग की जानी चाहिए। अच्छा होगा कि जो इस काम में लगे हुए हैं, उनके लिए दुग्ध पालन के छोटे-छोटे स्टॉल बना दिए जाएं। हमारा उद्देश्य किसी को उजाड़ना नहीं है। उनका पुनर्वास करना है। ब्रज तीर्थ विकास परिषद यहां के जन प्रतिनिधियों एवं स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर योजनाएं तैयार करेगी।’
हमारे तीर्थ, ब्रज सरीखे हों : शैलजाकांत
उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद के उपाध्यक्ष एवं अवकाश प्राप्त आईपीएस शैलजाकांत मिश्र बताते हैं कि मथुरा मूल रूप से वैष्णव क्षेत्र है। वैष्णव परंपरा में आहार शुद्धि को विशेष रूप से महत्वपूर्ण बताया गया है। प्राचीन काल में ब्रज क्षेत्र में आहार शुद्धि पर ध्यान दिया जाता था। यहां तक कि आजादी के बाद के दिनों में ब्रज क्षेत्र में लहसुन-प्याज नहीं मिलती थी। 1988 के आसपास, जब मैं मथुरा जनपद का पुलिस अधीक्षक था, उस समय भी लहसुन और प्याज मथुरा में खुलेआम नहीं बिकती थी। लोग चोरी-छिपे लहसुन-प्याज बेचते थे। लोग किसी बंद पैकेट आदि में लहसुन-प्याज ले जाया करते थे। आजादी के बाद इतने वर्षों मे आहार में जो परिवर्तन आया है, उसके लिए हम लोग भी जिम्मेदार हैं। भोजन हमारी संस्कृति का अंग है। मैं उल्लेख करना चाहूंगा कि जब इस परिषद का गठन किया गया था, उस समय ही ब्रज के सात तीर्थ क्षेत्रों में मांस- मदिरा पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। मैं ऐसा मानता हूं कि सरकार का यह निर्णय मील का पत्थर साबित होगा। कम से कम एक स्थान तो ऐसा बन जाए जहां के बारे में हम कह सकें कि हमारे तीर्थ स्थल ऐसे होने चाहिए।’
धार्मिक धरोहरों के विकास से रोजगार सृजन
उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य बताते हैं कि ‘इन सभी जगहों को पर्यटन की दृष्टि से विकसित किया जा रहा है। प्रदेश सरकार की मंशा यह भी है कि हमारे पौराणिक स्थल, जहां से करोड़ों लोगों की आस्था जुड़ी है, उन्हें इस तरह विकसित किया जाए कि पूरी दुनिया के लोग उन्हें देखने के लिए आएं। जब लोग उन्हें देखने आएंगे तो पर्यटन के क्षेत्र में प्रगति होगी। इन धार्मिक स्थलों को विश्व के नक्शे पर लाकर अधिक से अधिक लोगों को रोजगार दिया जाएगा। वहां के स्थानीय लोगों को इसका सबसे ज्यादा फायदा होगा। अभी तक इन स्थलों को राजनीतिक कारणों से उपेक्षित रखा गया था मगर हम लोगों की सरकार इस धार्मिक एवं सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करते हुए रोजगार के अवसर भी मुहैया करा रही है।
उत्तराखंड में तीर्थस्थलों पर चोरी-छिपे मांस-मदिरा की बिक्री
देव भूमि उत्तराखंड के तीर्थस्थलों को भी असामाजिक तत्व गन्दा कर रहे हैं। हरिद्वार, ऋषिकेश और चारधाम तीर्थस्थल में मांस-मदिरा चोरी-छिपे पहुंच कर बिकता है। पिछले दिनों हरिद्वार में हर की पैड़ी पर कुछ लोग शराब पीते हुए वीडियो में कैद हुए। बियर की बोतलें लिये तीर्थयात्रियों ने एक दिन जमकर उत्पात मचाया जिसके बाद श्री गंगा सभा को पुलिस बुलानी पड़ी। ऋषिकेश में हिप्पी और नशे के लती लोग जंगलों और गंगा किनारे चरस, गांजा, स्मैक की गिरफ्त में दिखाई देते हैं। ऋषिकेश से मुनि की रेती तक शराब का प्रचलन बहुत बढ़ गया है। चार धाम के मुख्य तीर्थ स्थल पर मांस-मदिरा पर प्रतिबंध है परंतु उसके अगले पड़ाव पर मांस-मदिरा की बिक्री सबसे ज्यादा है।मांस-मदिरा के शौकीन लोग यहां से उन्हें खरीद कर चोरी-छिपे प्रतिबन्ध स्थल पर ले जाते हैं और सनातन मर्यादाओं को तार-तार करते हैं।
अयोध्या के गौरव की पुन:स्थापना
इसी प्रकार अयोध्या के गौरव को पुन: स्थापित करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने महत्वपूर्ण कदम उठाये हैं। अब हर वर्ष अयोध्या में भव्य दीपावली का आयोजन किया जाता है। विदेश में जहां कहीं पर भी रामलीला का आयोजन होता है, वहां के राष्ट्राध्यक्ष अथवा राजदूत को भी अयोध्या बुलाया जाता है। प्रदेश सरकार ने 2017 में दीपोत्सव का विश्व रिकॉर्ड बनाया था।
अयोध्या में भगवान राम का जन्म हुआ, इसी कारण अयोध्या से करोड़ों हिन्दुओं की आस्था जुड़ी हुई है। इसके बाद भी अयोध्या पर कोई ध्यान नहीं दिया गया था। इस उपेक्षा के कारण राजनीतिक थे। जो भी दल सत्ता में रहे, वे इस बात से डरे हुए थे कि मुसलमान उनसे नाराज न हो जाएं। जब जनपद न्यायालय के आदेश पर राम मंदिर का ताला खोला गया, उसी के बाद से राम जन्मभूमि को लेकर विवाद और राजनीति, दोनों साथ-साथ तेज होने लगी थी। विश्वनाथ प्रताप सिंह के प्रधानमंत्री बनने के बाद जब मंडल आयोग का मामला गरमाया हुआ था, ठीक उसी समय राम मंदिर आन्दोलन ने तेजी पकड़ी। मुलायम सिंह यादव के मुख्यमंत्रित्व काल में कारसेवकों की भीड़ पर गालियां चलार्इं गर्इं। हिन्दुओं की सबसे प्राचीन पुरी को रक्त रंजित किया गया। अब अयोध्या का पुराना गौरव लौट रहा है। अयोध्या में अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा बनने जा रहा है।
चित्रकूट भी नहीं रहेगा उपेक्षित
भगवान राम 14 वर्ष के वनवास में से 11 वर्ष से अधिक का समय चित्रकूट की धरती पर व्यतीत किया। ऐसी तपोस्थली चित्रकूट को भी उपेक्षित किया गया। मगर देव दीपावली के अवसर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वहां पहुंच कर साफ कर दिया कि अब चित्रकूट उपेक्षित नहीं रहेगा। उन्होंने कहा कि ‘यह तप की धरती है। इसका विकास किया जाएगा और पर्यटन के क्षेत्र में इसे ऐसा विकसित किया जाएगा ताकि चित्रकूट विश्व के नक़्शे पर उभर सके।’
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