सुनील राय
उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव नजदीक है. इस वक्त यूपी में नए- नए राजनीतिक प्रयोग हो रहे हैं. इन दिनों यूपी में असदुद्दीन ओवैसी और राकेश टिकैत भी निकल पड़े हैं. गत दिनों हमीरपुर के मुस्लिम बाहुल्य इलाके में राकेश टिकैत ने महापंचायत का आयोजन किया मगर यह पंचायत पूरी तरह फेल हो गई. बुंदेलखंड क्षेत्र में जनाधार बढ़ाने निकले टिकैत को काफी झटका लगा.
बुंदेलखंड के हमीरपुर जिले के मौदहा की मंडी समिति में यह किसान महापंचायत आयोजित की गई. पंचायत के लिए तय वक्त के ठीक 1 घंटे पहले इस आयोजन स्थल में नाम मात्र के किसान नजर आए. राकेश टिकैत की किसान महापंचायत शुरू हुई तो वहां सिर्फ वही लोग नजर आ रहे थे जो उनके साथ ट्रैक्टर में बैठ करके आये थे. हरी टोपी लगाए हुए समर्थकों ने उनके मंच के आगे बैठकर भीड़ बढ़ाने की कोशिश की मगर वहां के स्थानीय किसान इस महापंचायत में शामिल नहीं हुए.
टिकैत ने इस किसान महापंचायत में भाषण तो खूब जमकर दिया मगर सब कुछ ऐसा लगा जैसे पहले से पटकथा लिखी हुई हो. उन्होंने किसानों की तमाम समस्याएं गिनाई और उसके लिए प्रदेश और केंद्र की सरकार को जिम्मेदार ठहराने का प्रयास किया. बुंदेलखंड की अन्ना पशुओं की समस्या, जल संकट से लेकर बेरोजगारी तक सब गिना डाला और और सब का ठीकरा योगी सरकार पर फोड़ दिया. वैसे टिकैत के भाषण में बुंदेलखंड से ज्यादा दिल्ली और हरियाणा हावी रहा.
हमीरपुर का राठ और चरखारी इलाका धुर किसानों वाला इलाका माना जाता है लेकिन राठ और चरखारी को छोड़कर मुस्लिम बाहुल्य कस्बा मौदहा में आयोजन टिकैत को ज्यादा ठीक लगा. उनके इस आयोजन स्थल के चयन से ही इस किसान पंचायत का बंटाधार हो गया. स्थानीय लोगों ने बताया कि किसान महापंचायत की भीड़ में सबसे बड़ी संख्या समाजवादी पार्टी के समर्थकों की थी. ये सभी लोग आस-पास की बस्तियों से आए हुए गैर किसान थे और उनमे अधिकतर मुस्लिम थे. अपनी खेती किसानी और रोजी-रोटी में लगा रहने वाला बुंदेलखंड का किसान उस महापंचायत में नदारद था.
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