उत्तराखंड ब्यूरो
नई टिहरी में पर्यटन विभाग की जमीन पर अवैध रूप से मस्जिद बना दी गयी। हिन्दुत्व निष्ठ कार्यकर्ताओं ने जब इसका विरोध किया तो उल्टे पुलिस उन्हें ही धमकाने लगी। टिहरी डैम के पास संवेदनशील इलाके में अवैध मस्जिद बन जाने को लेकर हिन्दू संगठनों में गुस्सा है।
नई टिहरी में पर्यटन विभाग की जमीन पर अवैध रूप से मस्जिद बना दी गयी। हिन्दुत्व निष्ठ कार्यकर्ताओं ने जब इसका विरोध किया तो उल्टे पुलिस उन्हें ही धमकाने लगी। टिहरी डैम के पास संवेदनशील इलाके में अवैध मस्जिद बन जाने को लेकर हिन्दू संगठनों में गुस्सा है।
जानकारी के मुताबिक टिहरी डैम के निर्माण के दौरान साल, 2000 में जीपी कंस्ट्रक्शन कंपनी ने अपने मजदूरों को एक कमरा टीन शेड डालकर नमाज पढ़ने के लिए दिया था। टिहरी हाइड्रो प्रोजेक्ट का काम 2009 में पूरा होने के साथ ही जेपी कंपनी अपना सामान समेट कर चली गयी। कंपनी जाने के बाद ये ज़मीन सरकार ने पर्यटन गतिविधियों के लिए जिला पर्यटन अधिकारी के सुपुर्द कर दी। इसकी जानकारी होते ही कुछ मुस्लिमों ने इस को मस्जिद की ज़मीन होने का दावा किया। जबकि टीन शेड डालने से पहले टीएचडीसी प्रबन्धन ने 29 जनवरी, 2021 को सनाउल्लाह नाम के शख्स को अपना टीन शेड हटाने का नोटिस दिया था। तब तक यहां जेपी कंपनी के जाने के बाद कोई भी मजहबी गतिविधियों का संचालन नहीं था। जैसे ही ज़मीन पर्यटन विभाग को दी गयी, यहां मस्जिद होने का दावा कर रातों—रात टीनशेड डालकर मस्जिद बनाकर नमाज पढ़ी जाने लगी।
पर्यटन अधिकारी ने 6 सितंबर को इस अवैध अतिक्रमण को लिखित रूप से प्रशासन को अवगत कराते हुए स्थान खाली करवा कर विभाग को कब्ज़ा दिलाये जाने की बात कही।इसके लिए बाकायदा पर्यटन विभाग ने स्थलीय निरीक्षण की रिपोर्ट भी सलग्न की। इस बात की जानकारी जब विहिप, बजरंग दल के कार्यकर्ताओं को हुई तो उन्होंने भी टिहरी के पुलिस प्रशासन को 25 सितंबर का समय दिया और समस्या का निराकण न होने पर आंदोलन की चेतावनी दी। लेकिन 25 सितंबर तक प्रशासन ने कुछ नहीं किया। जब हिन्दू संगठनों ने अतिक्रमण वाली जगह पर जाकर विरोध प्रदर्शन किया तो स्थानीय पुलिस कार्यकर्ताओं पर ही रौंब गांठते हुए धक्का—मुक्की करने लगी। मामले के तूल पकड़ने के बाद पुलिस अधिकारियों और नगर प्रशासन ने अतिक्रमणकारियों को अपना सामान हटाने निर्देश दिया है।
बता दें कि टिहरी डैम के झील क्षेत्र में ऐसा अवैध निर्माण कोई पहला वाक्या नहीं है। झील के आस—पास पहले भी कई स्थानों पर अवैध रूप से मजारें बनती देखी गयी हैं।
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