राजेश प्रभु साळगांवकर
जम्मू एवं कश्मीर तथा लद्दाख क्षेत्र देश की सुरक्षा के लिए अति महत्वपूर्ण है। लेकिन इस क्षेत्र की अपनी समस्याएं हैं। कश्मीर घाटी में बर्फबारी और ठंड के कारण बहुत से गांवों का सर्दियों में देश के अन्य क्षेत्रों से संपर्क टूट जाता है। लद्दाख विश्व का सबसे ऊंचाई पर बसा ऐसा पठार है जहां ठंड में तापमान शून्य से नीचे चला जाता है। वहीं, जम्मू एवं कश्मीर को लद्दाख से जोड़नेवाली सड़क पर बर्फबारी तथा भूस्खलन के कारण नीचे दब जाने से लगभग छह माह तक यातायात बाधित रहता है। इससे छह महीने तक इस पूरे क्षेत्र का शेष देश से संपर्क पूरी तरह से टूट जाता है। यह क्षेत्र देश की सुरक्षा की दृष्टि से सटी है। जोजिला पास से कारगिल की पहाड़ियां बिल्कुल सटकर हैं। उसके उत्तर में पकाव्याप्त गिलगित बाल्टिस्तान का क्षेत्र है। 1999 में पाक ने यहीं से आक्रमण किया था।
वहीं दूसरी ओर, लदाख की तिब्बत सीमा पर हर समय चीनियों के आक्रमण का भय रहता है। पिछले वर्ष लद्दाख की तिब्बत सीमा पर चीनियों ने आक्रमण किया था, जिसका भारतीय सेना ने पुरजोर उत्तर देते हुए उन्हें खदेड़ दिया था। लेकिन सर्दियों में इस क्षेत्र का सड़क मार्ग से कट जाना गंभीर समस्या है।
अब केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने इस विषय का स्थायी हल ढूंढ लिया है। अब जम्मू एवं कश्मीर तथा लद्दाख के पहाड़ी क्षेत्र में, जहां बर्फबारी तथा भूस्खलन से सड़क संपर्क टूट जाता है, हिमालय की गोद में सुरंग महामार्ग का निर्माण किया जा रहा है, ताकि जोरदार बर्फबारी तथा भूस्खलन की स्थिति में भी सड़क यातायात चलता रहे। केंद्रीय सड़क परिवहन तथा महामार्ग मंत्री नितिन गडकरी के नेतृत्व में इन भव्य सुरंग महामार्गों के निर्माण का कार्य चल रहा है। इसमें 32 किमी के सुरंग महामार्ग जम्मू एवं कश्मीर में तथा 20 किमी के सुरंग महामार्ग लद्दाख में होंगे। कुल 32सुरंगों का निर्माण किया जाना है। जम्मू एवं कश्मीर में सुरंग तथा अन्य महामार्गों के निर्माण तथा विस्तार पर करीब 1 लाख करोड़ की लागत आएगी। वहीं लद्दाख क्षेत्र में नए महामार्ग तथा सुरंग के निर्माण के लिए अनुमानित 50,000 करोड़ की लागत आएगी।
विश्व की सबसे ऊंची दोहरे मार्ग वाली जोजिला सुरंग
विश्व के सबसे ऊंचे पर्वतीय मार्ग जोजिला पास के पयार्यी सुरंग मार्ग की आवश्यकता को देखते हुए जोजिला सुरंग का निर्माण किया जा रहा है। यह सुरंग महामार्ग विश्व का सबसे ऊंचा तथा एशिया का सबसे लंबा दोहरे मार्ग वाला सुरंग महामार्ग होगा। इस की लंबाई लगभग 14.5 किलोमीटर रहेगी। इसमें तीन आपातकालीन सुरंग भी रहेंगी।
इस जोजिला सुरंग की चौड़ाई 9.5 मीटर होगी तथा ऊंचाई 7.5 मीटर। इस सुरंग में सुरक्षा के लिए लोहे के आधारवाली कंक्रीट की दीवारों का निर्माण किया जा रहा है। इस 14.5 किलोमीटर लंबी सुरंग में शुद्ध हवा आने और वाहनों से निकली अशुद्ध हवा को सुरंग से बाहर निकालने के लिए पूरी लंबाई तक विशेष वेंटिलेशन शॉफ्ट का निर्माण किया जा रहा है। तीन वेंटिलेशन शॉफ्ट ऊपर की दिशा में पहाड़ियों के बाहर खुलेंगे।
इस सुरंग में दोनों तरफ पैदल चलने के लिए फुटपाथ की भी व्यवस्था की जा रही है। आपातकालीन संपर्क के लिए हर जगह सीसीटीवी तथा केबल फोन की व्यवस्था की जाएगी। आपातकाल में सुरक्षित बाहर निकलने के लिए तीन आपातकालीन निकास सुरंगें भी रहेंगी। जोजिला सुरंग के दोनों ओर नियंत्रण कक्ष का निर्माण भी हो रहा है। यह सुरंग इतनी बड़ी है कि सेना के बड़े वाहन तथा प्रक्षेपणास्त्र वाहक वाहन भी इस सुरंग से आराम से निकल सकेंगे।
पहली बार न्यू आस्ट्रियन टनेलिंग मेथड का उपयोग
इस सुरंग की निर्माणकर्ता कंपनी मेघा इंजीनियरिंग के संपर्क प्रमुख एम. शिवप्रसाद रेड्डी ने बताया कि इस सुरंग के निर्माण कार्य में आॅस्ट्रियन तकनीक 'न्यू आस्ट्रियन टनेलिंग मेथड' का उपयोग किया जा रहा है। करीब 52 विदेशी विशेषज्ञ अभियंता इस कार्य में अपनी सेवा दे रहे हैं। इस परियोजना में सेवा दे रहे भारतीय अभियंताओं की संख्या लगभग 350 है। कुल मिलाकर इस परियोजना में 3,600 अभियांत्रिकी कर्मचारी जुटे हैं, जिसमें स्थानीय कर्मचारियों की संख्या 1,500 के आसपास है। एम. रेड्डी ने आगे बताया कि इस परियोजना में उपयोग में आ रहे यंत्र लगभग 95 प्रतिशत भारतीय हैं। अन्य विशेष यंत्र भी मेक इन इंडिया के अंतर्गत विदेशी तकनीक से भारत में बने हैं।
नेशनल हाईवे इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन के कार्यकारी निदेशक ब्रिगेडियर जी.एस. कंबू ने इस परियोजना के इतिहास की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि2018 में इस परियोजना को अंतिम रूप दिया गया, लेकिन शुरुआती कार्य के दौरान जिन कंपनियों को ठेका दिया गया था, वे कंपनियां कार्य की कठिनाई को देख इस काम से हट गईं। फिर 2020 में वर्तमान कंपनियों को इस कार्य का ठेका दिया गया।
बिग्रेडियर कंबू ने आगे बताया कि इस परियोजना की कठिनता को देखते हुए सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने दिल्ली में सुरंग महामार्ग निर्माण के विषय में एक विशेष अभ्यास कार्यशाला का आयोजन किया। इस कार्यशाला में विश्व के नामांकित सुरंग निर्माण विशेषज्ञों ने मार्गदर्शन किया। उसके बाद जोजिला सुरंग के निर्माण का कार्य नई तकनीक के साथ जोरों से शुरू हुआ। यहां हिमालय की पहाड़ियों की रचना के अनुकूल सुरंग निर्माण तकनीकी का उपयोग किया जा रहा है। इस कार्य में कुछ नई तकनीकी का प्रथम उपयोग किया गया है जिसमें तरल विस्फोटकों का उपयोग विश्व में पहली बार इतने बड़े कार्य में किया जा रहा है।
कश्मीर और लद्दाखवासियों के लिए एक नई सुबह
नितिन गडकरी ने बताया कि हिमालय की पहाड़ियों में चट्टानें तालक की (जिससे टेल्कम पाउडर बनता है) तथा जिप्सम की हैं जो बिल्कुल कमजोर होती हैं। ऐसी पहाड़ियों में सुरंग बनाना, वह भी पहाड़ी के इतने नीचे, एक बहुत ही कठिन तथा आह्वानात्मक कार्य है। इसके लिए विश्वभर से विशेषज्ञों की मदद ली गई है और आवश्यक नई तकनीक के साथ तकनीकी सामग्री तथा यंत्र उपयोग में लाए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि जोजिला सुरंग के निर्माण की समय सीमा 2023 तय की गई है लेकिन हमें आशा है कि उसके पहले ही यह काम पूरा हो जाएगा। गडकरी ने आगे बताया कि जोजिला सुरंग के आज तक के कार्य में, किसी भी सुरक्षा मानक की अनदेखी और गुणवत्ता से खिलवाड़ किए बिना करीब 1,500 करोड़ रुपये की बचत की गई है।
जोजिला सुरंग के निर्माण कार्य का निरीक्षण करते नितिन गडकरी
जम्मू एवं कश्मीर तथा लद्दाख के नागरिकों के लिए इस सुरंग महामार्ग का निर्माण एक नई व्यवस्था लेकर आ रहा है। गडकरी ने कहा कि इस सुरंग महामार्ग के निर्माण के बाद बर्फबारी एवं भूस्खलन की स्थिति में भी सोनमर्ग, बालताल तथा लद्दाख के क्षेत्र देश के अन्य भागों से जुड़े रहेंगे जिसके कारण पूरे वर्ष इस क्षेत्र में आवाजाही, व्यापार तथा पर्यटकों का आना-जाना चलता रहेगा। इससे इस क्षेत्र में रहने वाले लोगों की आय में बहुत बड़ी वृद्धि होगी और इस क्षेत्र के लोग आर्थिक संपन्नता प्राप्त कर सकेंगे।
जोजिला सुरंग का एक सिरा जहां खुलता है, वह स्थान बालताल में अमरनाथ यात्रा के बेस कैंप के बिल्कुल सम्मुख है। इस सुरंग महमार्ग से अमरनाथ यात्रियों और इस क्षेत्र में हिमालयन ट्रेकिंग करनेवाले ट्रेकरों को भी सुविधा होगी।
गडकरी ने केंद्रीय सडक परिवहन राज्यमंत्री जनरल (नि.) वी.के. सिंह के साथ बीते 28 सितंबर को जोजिला सुरंग के निर्माण कार्य का निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने इस कार्य में जुटे अभियंता तथा कर्मचारियों से कहा कि आपके कंधों पर इस कार्य को पूर्वनियोजित समय पर संपन्न करने का उत्तरदायित्व है. आजतक के कार्य को देखते हुए यह सुरंग समय पर जनता के परिवहन के लिए खुल जाएगी, ऐसा मुझे विश्वास है। उन्होंने इस कार्य में जुटी कंपनियों के अधिकारियों से उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की ओर से इस इस प्रकल्प के लिए पैसों की कमी नहीं होगी तथा जो भी आवश्यक सहायता है, वह तुरंत दी जाएगी।
मंत्री महोदय ने पांचजन्य को बताया कि इस महत्वाकांक्षी प्रकल्प के साथ ही जम्मू एवं कश्मीर तथा लद्दाख में अन्य अनेक महामार्गों का निर्माण किया जा रहा है जिससे हिमालय की दुर्गम पहाड़ियों में बसे सीमावर्ती क्षेत्र के नागरिकों को सभी ऋतुओं में सुरक्षित सड़क परिवहन की सुविधा मिल सके। श्रीनगर तथा लद्दाख के लेह को देश के अन्य भागों से जोड़नेवाले अन्य महामार्गों का निर्माण भी कराया जा रहा है। जम्मू-श्रीनगर महामार्ग के पयार्यी महामार्ग का निर्माण श्रीनगर को भी 12 महीने सभी ऋतुओं में जम्मू एवं देश के अन्य भागों से जोड़े रखेगा। उन्होंने कहा कि कश्मीर तथा लद्दाख की वादियां यूरोप के स्विट्जरलैंड से भी सुंदर हैं, यह सही में स्वर्ग है। इसे विश्व का सबसे उत्तम पर्यटन स्थल बनाने के लिए हम कटिबद्ध हैं।
अगले वर्ष खुल जाएगी झेड मोड़ सुरंग
श्रीनगर से लेह के मार्ग में सोनमर्ग का सुंदर क्षेत्र पड़ता है लेकिन बर्फबारी तथा भूस्खलन के कारण वर्ष के 6 महीने इस क्षेत्र का सड़क यातायात बंद रहता है। इसके कारण सोनमर्ग गांव के निवासी गांव छोड़ नीचे कंगन गांव के आसपास बस जाते हैं। अब जोजिला सुरंग के निर्माण कार्य के एक भाग के तौर पर झेड मोड़ सुरंग का निर्माण हो रहा है जिससे सोनमर्ग पूरे वर्ष श्रीनगर से सड़क मार्ग से जुड़ा रहेगा। इससे सोनमर्ग में पर्यटकों की आवाजाही तथा व्यापार 12 महीनों चलता रहेगा। झेड मोड़ सुरंग लगभग 2 किलोमीटर लंबाई का सुरंग महामार्ग है जिसमें आने और जाने के लिए अलग-अलग सुरंग की व्यवस्था है। इस सुरंग में भी शुद्ध हवा के लिए वेंटिलेशन शॉफ्ट और सुरक्षा के लिए सीसीटीवी तथा केबल फोन की व्यवस्था रहेगी। दोनों सुरंगों में फुटपाथ तथा आपातकालीन निकास की व्यवस्था होगी। यह सुरंग भी दोनों ओर से नियंत्रण कक्ष से नियंत्रित रहेगी।
गडकरी ने बताया कि आगामी 26 जनवरी तक झेड मोड़ सुरंग का उद्घाटन तथा लोकार्पण प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के हाथों करने की मंशा है। इस सुरंग का अभियांत्रिकी कार्य लगभग पूरा हो गया है। दोनों ओर सड़क तथा पुल के निर्माण के बाद यह सुरंग नागरिकों के यातायात के लिए खोल दी जाएगी।
सेना के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होगी सुरंग महामार्ग
आज की स्थिति में श्रीनगर से लेह जाने के लिए कठिन घाट मार्ग पार करना पड़ता है जिससे सैन्य वाहनों को 10 से 12 घंटों की अवधि लग सकती है। लेकिन अब श्रीनगर से लेह के मार्ग पर बन रहे सुरंग एवं महामार्ग पुल, चौड़े महामार्गों तथा जोजिला सुरंग के निर्माण के बाद यह अवधि आधे से भी कम रह जाएगी। जोजिला घाट पार करने का समय 3:30 घंटे घट जाएगा। चौड़ी तथा ऊंची सुरंगों के कारण सेना के प्रक्षेपणास्त्र धारी भारी वाहन आराम से इस सुरंग से निकल सकेंगे। इससे सेना के वाहनों को पाक अधिक्रांत गिलगित बालटिस्तान तथा चीन अधिक्रांत तिब्बत की सीमा तक पहुंचने में बहुत आसानी रहेगी।
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