जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रविरोधी तत्वों पर नकेल कसने के लिए प्रशासन अब जन सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के बजाय गैर कानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत कार्रवाई कर रहा है।
जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रविरोधी तत्वों पर नकेल कसने के लिए प्रशासन अब जन सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के बजाय गैर कानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत कार्रवाई कर रहा है। खबरों की मानें तो अनुच्छेद 370 निरस्त होने के बाद राज्य में पीएसए के के मामले घटे हैं, जबकि यूएपीए के तहत दर्ज मामलों की संख्या बढ़ी है। अब तक करीब 2364 लोगों पर यूएपीए के तहत मामले दर्ज किए गए हैं। इसके तहत बंदी बनाए गए 2350 में से करीब 1110 आज भी जेल में हैं। वहीं, 5 अगस्त, 2019 से 5 अगस्त, 2021 तक पीएसए के तहत बंदी बनाए गए करीब 954 में से लगभग 282 ही जेलों में बंद हैं।
गौरतलब है कि अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद राज्य में आतंकी, अलगाववादी, हवाला से संबंधित मामलों में पकड़े गए अधिकांश आरोपितों को यूएपीए के तहत ही बंदी बनाया गया। वर्ष 2019 में यूएपीए के तहत दर्ज मामलों में 918 आरोपितों को पकड़ा गया तो वहीं वर्ष, 2020 में यूएपीए के तहत दर्ज 557 मामलों में 953 लोगों को गिरफ्तार किया गया।
इस वर्ष जुलाई के अंत तक प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में पुलिस ने 493 लोगों को यूएपीए के तहत दर्ज 275 मामलों में पकड़ा है। जानकारों की मानें तो पुलिस राष्ट्रविरोधी तत्वों के खिलाफ अपनी नीतियों में बदलाव ला रही है। पुलिस अब यूएपीए लगाती है क्योंकि यह पीएसए से ज्यादा कठोर है। आरोपित को इसके तहत आसानी से अदालत में जमानत हासिल नहीं होती।
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