उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री एवं वर्तमान में महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के लोकसभा व राज्यसभा में दिए गए भाषणों एवं याचिका समिति के अध्यक्ष के रूप में दिए गए निर्णयों पर आधारित पुस्तक “भारतीय संसद में भगत सिंह कोश्यारी“ पुस्तक के संबंध में उनकी उपस्थिति में परिचर्चा का आयोजन किया गया।
उत्तराखंड ब्यूरो
उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री एवं वर्तमान में महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के लोकसभा व राज्यसभा में दिए गए भाषणों एवं याचिका समिति के अध्यक्ष के रूप में दिए गए निर्णयों पर आधारित पुस्तक “भारतीय संसद में भगत सिंह कोश्यारी“ पुस्तक के संबंध में उनकी उपस्थिति में परिचर्चा का आयोजन किया गया। मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।
पुस्तक विमोचन समारोह की परिचर्चा में सभी वक्ताओं ने भगत सिंह कोश्यारी के भारतीय संविधान में विहित सदनों, लोकसभा, राज्यसभा, विधानसभा एवं विधान परिषद में उनके द्वारा उठाए गए जनहित एवं राष्ट्रहित से संबंधित मुद्दों की सराहना की। सभी ने श्री कोश्यारी को युगदृष्टा बताते हुए उन्हें आम आदमी से जुड़ा उदार व्यक्तित्व बताया। सभी ने उनके ‘‘वन रैंक वन पेंशन’’ की भूमिका तैयार करने के प्रयासों की भी सराहना की। उन्हें सर्वधर्म समभाव, राष्ट्रभक्त एवं राष्ट्रभाषा का समर्थक भी बताया। इस दौरान श्री कोश्यारी ने कहा कि राष्ट्र के स्वाभिमान, गौरव एवं राष्ट्रीय अस्मिता को बचाने का दायित्व हम सबका है। इसमें हमारे सांसदों एवं विधायकों की विशेष जिम्मेदारी है। यह कार्य संसद एवं विधानसभाओं में स्वस्थ परिचर्चा के माध्यम से किया जाना चाहिए। ग्राम सभा से लेकर लोक सभा तक लोग कैसे देश को आगे बढ़ाने में अपना योगदान दे सकें, इस पर ध्यान दिये जाने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि वर्षों पहले रेडियो में संसद समीक्षा हम बड़े ध्यान से सुनते थे, जिसमें देश के पक्ष एवं विपक्ष के योग्य सांसदों की बहस की समीक्षा होती थी। ऐसी ही स्वस्थ परिचर्चा हमारी संसद एवं विधान सभाओं में भी होनी चाहिए। उन्होंने राज्य सभा में गुलाम नबी आजाद की विदाई की घटना को देश में सहिष्णुता का वातावरण बनाने वाला बताया। श्री कोश्यारी ने कहा कि हमें अपनी मातृभाषा, राष्ट्रभाषा पर अभिमान होना चाहिए। उन्होंने उदाहरण दिया कि पहले महाराष्ट्र के विश्वविद्यालयों में होने वाले कार्यक्रम अंग्रेजी में होते थे, उन्होंने ऐसे कार्यक्रमों को मातृभाषा व राष्ट्रभाषा में आयोजित करने की पहल की तो आज महाराष्ट्र में मराठी में कार्यक्रम आयोजित होने लगे हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें संयुक्त राष्ट्र में भी हिंदी में बोलने का अवसर मिला। हमें अपनी भाषा पर गर्व होना चाहिए।
अपने संबोधन में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उन्हें श्री भगत सिंह कोश्यारी के सान्निध्य में रहकर सामाजिक व राजनैतिक क्षेत्र में कार्य करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। उन्होंने कहा कि प्रकाशित पुस्तक के माध्यम से श्री कोश्यारी के जीवन दर्शन के अनेक अनछुए पहलू समाज के सामने लाये गये हैं। यह पुस्तक उनके विशाल व्यक्तित्व का भी विश्लेषण करती है।
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