सुनील राय
पिता के लिए 'अब्बा' शब्द का प्रयोग किये जाने के बाद अखिलेश यादव ने नाराजगी जाहिर की. अखिलेश यादव ने कहा कि "उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने मेरे पिता के बारे में कुछ कहेंगे तो खुद भी सुनने के लिए तैयार रहें." अब सवाल यह है कि उर्दू में तहजीब से पिता को अब्बा कहा जाता है. अखिलेश यादव को उर्दू के इस शब्द से इतनी दिक्कत क्यों हैं ? उत्तर प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री एवं प्रवक्ता सिद्धार्थ नाथ सिंह कहते हैं कि " अखिलेश अपने पिता को पिता जी तो कहते नहीं हैं. डैडी कहते हैं. अंग्रेजी के शब्द से उनको दिक्कत नहीं है मगर उर्दू से दिक्कत है. उनके पिता मुलायम सिंह यादव भी अखिलेश यादव को टीपू कहकर बुलाते हैं "
सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा कि " पिता के लिये कहे जाने वाले आदर सूचक सम्बोधन शब्द ‘अब्बा’ से मिर्ची नहीं लगनी चाहिए. यह शब्द तो तहजीब का प्रतीक है.उनको अपने नजरिए और सोच को बदलने के साथ बातों को समझने और उनका सही अर्थ निकालने की जरूरत है. बिना सोचे-समझे कुछ भी बोलने वालों के मुंह से भाषा में संतुलन की बात हजम नहीं होती है. ड्राइंग रूम में बैठकर ट्वीट करने वालों को अब भाषा में भी दोष नजर आने लगा है. भाजपा की बढ़ती ताकत और जनाधार सपाइयों को रास नहीं आ रहा है. वो सहमे हुए हैं. इसलिये आदर सूचक और सम्मानजनक शब्दों की पहचान करना भूल गये हैं.
सपा मुखिया को मालूम होना चाहिये कि योगी सरकार ने अपने 4 साल के कार्यकाल में 4 लाख युवाओं को रोजगार दिया है और इस साल दिसम्बर तक 1 लाख युवाओं को और रोजगार देने जा रही है. जहां तक किसानों की बात है पिछली सरकारों में जो नहीं हो पाया उसको योगी सरकार ने पूरा करके दिखलाया है. योगी सरकार ने किसानों की आय को वर्ष 2022 तक दोगुना करने का लक्ष्य रखा है. 433.86 लाख मी. टन खाद्यान्न की सरकारी खरीद करने के साथ ही 78,23,357 किसानों को ₹78,000 करोड़ से अधिक का भुगतान किया गया.
किसानों को ₹3 लाख 92 हजार करोड़ फसली ऋण का भुगतान, ₹36 हजार करोड़ रुपए से 86 लाख किसानों का ऋण माफ, कोरोना महामारी के बीच प्रदेश में चलती रही चीनी मिलें, खेती किसानी से जुड़ी गतिविधियां जारी रखीं. रमाला, पिपराइच, मुण्डेरवा चीनी मिलों सहित 20 चीनी मिलों का आधुनिकीकरण और विस्तार करने जैसे योगी सरकार की उपलब्धियों की इतनी बड़ी लिस्ट है कि सपाइयों को पढ़ते-पढ़ते सांस फूल जायेगी.
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