बांग्लादेश में हिंदू विरोधी मजहबी उन्माद की विभीषिका के दौरान वहां के एक वरिष्ठ मंत्री का बयान सबको चौंका गया है। मंत्री डॉ. मुराद हसन ने बयान दिया है कि बांग्लादेश एक सेक्युलर देश है। लोग सवाल पूछने लगे हैं कि क्या बांग्लादेश अब इस्लामिक देश नहीं रहेगा? क्या एक बार फिर 1972 का संविधान लागू किया जाएगा!
एक निश्चित अंतराल के बाद बांग्लादेश में एक बार फिर हिंदुओं के विरुद्ध वहां की कट्टरवादी इस्लामी ताकतों ने अपनी हिंसक नफरत का प्रदर्शन करते हुए हिन्दुओं के मंदिरों, घरों, दुकानों और गांवों को निशाना बनाया है। गत सप्ताह से जारी हिन्दू दमन के चलते अनेक स्थानों से आगजनी के समाचार प्राप्त हुए हैं। मजहबी उन्माद की तपिश के बीच देश के सूचना राज्य मंत्री मुराद हसन ने यह बयान देकर सबको चौंका दिया है कि बांग्लादेश एक सेक्युलर देश है, जो फिर से बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान के 1972 में बनाए संविधान की तरफ लौटेगा। उन्होंने साफ कहा है कि बांग्लादेश मजहबी कट्टरपंथियों का अड्डा नहीं बन सकता।
मुराद हसन का कहना है कि उनकी रगों में आजादी के सेनानियों का खून बह रहा है। उन्हें किसी भी कीमत पर 1972 के संविधान पर लौटना ही होगा। मुराद ने कहा, ''मैं संसद में बंगबंधु के संविधान पर लौटने की पैरवी करूंगा। कोई बोले न बोले, मुराद तो संसद में बोलेगा।' उन्होंने ये बयान बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान के पुत्र शेख रस्सल की 57वीं जयंती के मौके पर इंजीनियर्स इंस्टीट्यूशन बांग्लादेश को संबोधित करते हुए दिया। उन्होंने इसी भाषण में यह भी कहा कि बांग्लादेश का मजहब इस्लाम नहीं है।
मुराद का कहना है कि 'मुझे नहीं लगता इस्लाम हमारे देश का मजहब है। हम फिर से 1972 के संविधान पर लौटेंगे। हम संसद में प्रधानमंत्री शेख हसीना की अगुआई में यह विधेयक पास कराएंगे। यह एक गैर-सांप्रदायिक बांग्लादेश है। बांग्लादेश एक सेक्युलर देश है।'
मजहबी उन्माद की तपिश के बीच देश के सूचना राज्य मंत्री मुराद हसन ने यह बयान देकर सबको चौंका दिया है कि बांग्लादेश एक सेक्युलर देश है, जो फिर से बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान के 1972 में बनाए संविधान की तरफ लौटेगा। उन्होंने साफ कहा है कि बांग्लादेश मजहबी कट्टरपंथियों का अड्डा नहीं बन सकता।
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