भारत में एक आईएएस अधिकारी का पद बड़ा ही सम्मानित माना जाता है। ऐसे अधिकारी से यह उम्मीद की जाती है कि उसके मन में सभी लोगों के प्रति समान भाव हो, लेकिन लातेहार के उपायुक्त अबु इमरान के कार्यों से ऐसा बिल्कुल नहीं लगता। अब लातेहार के अनेक लोग यह कहने लगे हैं कि इमरान के लिए राष्ट्र और जिले की उन्नति से ऊपर उनका मजहब यानी इस्लाम हो चुका है। उन पर अपने पद का दुरुपयोग कर केवल मुसलमानों के हित साधने के आरोप लग रहे हैं।
लातेहार में यह चर्चा आम है कि अबु इमरान ने अपने कार्यालय में जितने भी लोगों को संविदा के आधार पर नौकरी दी है, उनमें अधिकतर मुसलमान हैं। एक पत्रकार ने तो यहां तक बताया कि लातेहार के उपायुक्त कार्यालय जाने पर ऐसा लगता है कि किसी मजहबी संगठन के कार्यालय में आ गए हैं। वहां काम करने वाले अधिकतर मुसलमान हैं। लातेहार में मौजूद हमारे अन्य सूत्रों ने बताया कि इमरान ने संघ लोकसेवा आयोग की परीक्षाओं की तैयारी कराने वाली एक संस्था 'हक एजुकेशनल एंड सोशल वेलफेयर ट्रस्ट' को लाखों रुपए की मदद दी है। इस संस्था का संचालक एम.ए. हक है और यहां पढ़ने वाले छात्र भी ज्यादातर मुसलमान ही हैं।
लातेहार के मनिका विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक सह भाजपा जिला अध्यक्ष हरेकृष्ण सिंह कहते हैं, ''वर्तमान राज्य सरकार तुष्टीकरण की राजनीति के अलावा और कुछ नहीं करती है। अबु इमरान जैसे अधिकारी सरकार की तुष्टीकरण नीतियों को क्रियान्वित करने का काम करते हैं। सरकारी पैसों को सिर्फ एक समुदाय के लिए खर्च करना कहीं से भी उचित नहीं है।'' उन्होंने यह भी बताया कि अबु इमरान के उपायुक्त बनने के बाद पूरे लातेहार जिले में गोवंश की हत्या की घटनाएं बढ़ गई हैं। उन्होंने इमरान पर यह भी आरोप लगाया कि वे गोहत्यारों को बचाने का प्रयास करते हैं। हरेकृष्ण सिंह ने एक और बात बताई कि लातेहार के बरवाडीह प्रखंड में निर्माण कार्य से जुड़े 25 सरकारी ठेके एक ही व्यक्ति को दिए गए हैं। ऐसा इसलिए किया गया है कि ठेकेदार मुसलमान है।
इमरान पिछले दिनों भी चर्चा में आए थे, जब कांग्रेसी विधायक बंधु तिर्की और उनके बीच हुई बातचीत का एक वीडियो वायरल हुआ था। वह वीडियो लातेहार के शेरेगढ़ा में करमा पर्व के समय पानी में सात लड़कियों के डूब कर मरने से जुड़ा था। उल्लेखनीय है कि घटना के कुछ ही दिन बाद तिर्की उन बच्चियों के परिवार वालों से मिलने के लिए शेरेगढ़ा जाने वाले थे। इसलिए उन्होंने उपायुक्त इमरान को फोन किया। इस पर इमरान ने उनसे कहा कि यहां के उपायुक्त, अंचलाधिकारी दोनों मुसलमान हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस मुसलमानों के साथ दोहरा रवैया अपनाती है। इसके बाद कुछ लोगों ने यह पड़ताल की कि इमरान ने ऐसा क्यों बोला! तब पता चला कि जिस गड्ढे में वे लड़कियां डूबी थीं, उसे किसी मुसलमान ठेकेदार ने रेलवे के लिए खुदवाया था। काम होने के बाद उस गड्ढे को भरने की जिम्मेदरी उसी ठेकेदार की थी, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। बंधु तिर्की के वहां जाने से यह मामला बढ़ता इसलिए इमरान ने उन्हें वहां जाने से मना कर दिया और तिर्की भी ऐसे कि एक अधिकारी की बात पर उन्होंने वहां जाने का कार्यक्रम रद्द कर दिया। इस कारण अभी तक उन बच्चियों के मरने की घटना की जांच तक नहीं हुई है। कह सकते हैं कि इमरान ने एक जनप्रतिनिधि को अपना कार्य करने से रोक दिया था। उस समय इस पर पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवर दास ने कड़ी आपत्ति की थी। उन्होंने राज्यपाल रमेश बैस को एक पत्र लिखकर इमरान को निलंबित करने की मांग की थी। उनका कहना था कि इमरान ने एक जनप्रतिनिधि के कार्य में हस्तक्षेप किया है, जो ठीक नहीं है।
रांची में कार्यरत एक अधिकारी ने अबू इमरान की सोच की जानकारी दी। उन्होंने नाम न बताने की शर्त पर एक मासिक समीक्षा बैठक में घटित एक घटना के बारे में बताया कि एक बार एक इंजीनियर को किसी बात पर इमरान ने डांटते हुए कहा था, "अब तुम्हारा राज खत्म हो चुका है अब हमारा राज है।" यह घटना राज्य में हेमंत सोरेन की सरकार बनने के कुछ दिन बाद की ही है।
अबु इमरान वासेपुर, धनबाद के निवासी हैं। वही वासेपुर, जो अपराध के लिए पूरे देश में कुख्यात है।
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